दीपक ठाकुर
जिस कोरोना महामारी से पूरा विश्व पिछले एक साल से लड़ाई लड़ रहा हो उसी कोरोना पर विजय की आस जब भारत मे दिखाई दी तो भारत की ही एक राजनैतिक पार्टी उस पर इतना गैर जिम्मेदाराना बयान दे तो उसे क्या समझा जाये यही ना के भारत मे दवाई पर भी राजनीति होती है जी सही कहा फिलहाल भारत मे जो हो रहा है वो यही बता रहा है कि यहां विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नही है इसलिए वो जनता की भलाई में भी अपनी मलाई तलाशने में लगा है।
जैसा कि हम सभी को पता है कि 2021 में क़दम रखते ही हमारे देशवासियों को ये शुभ समाचार मिला के जिस कोरोना महामारी ने हमारा 2020 खराब कर दिया था अब उसका काट हमारे देश मे आ गया है अब हम एक टीका लगाकर कोरोना से जंग जीत सकते हैं ये सब हुआ भाजपा के शासनकाल में क्योंकि ये महामारी भी इसी काल मे आई थी लेकिन जब इसका इलाज आया तो उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम ने एक अलग ही शगूफा छोड़ दिया सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि ये भाजपा की वेक्सीन है वो इसे नही लगवाएंगे बताइये ऐसा भी कहीं होता है क्या बीमारी का इलाज किसी पार्टी का होता है जव देश बीमार है तो उसका इलाज किसी एक पार्टी का हितकारी कैसी होसकता है लेकिन नही सपा इसे भाजपा की वेक्सीन मानकर मन्ध्दग बयान दे रही है जिससे देश की जनता में भृम फैल रहा है।
जब अखिलेश यादव ने इस वेक्सीन को भाजपा की वेक्सीन बता कर इसका विरोध किया तो सपा के अन्य नेताओं ने इसे और भी खतरनाक बता दिया सपा के ही एक एक नेता ने ये बोला कि ये वेक्सीन आपको नपुंसक बना देगी मतलब जानकारी कुछ नही मकसद सिर्फ सरकार की आलोचना ही करनी है ये कैसी राजनीती है सपा की ये हमारी समझ से परे है जिस कोरोना के हमे घरों में कैद रखा जिसने हमारा घरबार कारोबार प्रभावित किया जब उसी कोरोना को मारने की दवा आ गई तो हम उसे राजनीतिक रंग देकर लोगों को बरगलाने का काम करेंगे क्या यही है भारतीय राजनीति अरे कुछ तो लाज रखो देश के जनता की भावनाओ की जो तुम्हें माननीय बनाती है जहां जनता के हित की बात हो वहां तो देश भक्ति दिखाओ बाकी तो समय सबका आता है और आएगा तो अभी जनता के स्वास्थ्य पर ऐसी ओछी राजीनीति क्यों??