झांसी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निकाय चुनाव में बड़ा दांव लगाया है। उन्होंने करीब 22 वर्ष बाद सामान्य हुई जिले की मऊरानीपुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए दलित नेता और पूर्व पालिका अध्यक्ष हरिश्चंद्र आर्य को ही चुनाव मैदान में उतारा है। इसे यहां की पूर्व विधायक डा.रश्मि आर्य के परिवार के राजनीतिक रसूख को बरकरार रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
पंद्रह साल से है सीट पर कब्जा
मऊरानीपुर नगर पालिका परिषद अध्यक्ष का पद करीब 22 साल पहले आरक्षित हुआ था। पहले यह अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हुआ। इसके बाद फिर अनुसूचित जाति के लिए हो गया। तब इस चुनाव में पहली बार समाजवादी पार्टी ने हरिश्चंद्र आर्य को टिकट देकर मैदान में उतारा और वह पहली बार पालिकाध्यक्ष चुने गए। इसके बाद से हरिश्चंद्र आर्य के परिवार ने राजनीतिक सफर में पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार दो बार वह स्वयं पालिकाध्यक्ष रहे और इसके बाद सीट अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होने पर उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती मीरा आर्य को चुनाव मैदान में उतारा और वह पालिकाध्यक्ष बनीं। पत्नी के पालिकाध्यक्ष बनने के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार के जमाने में उनके पति और पूर्व पालिकाध्यक्ष हरिश्चंद्र आर्य को पालिका का मनोनीत पार्षद बना दिया गया।
भाई की पत्नी रहीं हैं विधायक
इसी बीच में हरिश्चंद्र आर्य के भाई की पत्नी डा.रश्मि आर्य विधायक चुनीं गईं। हालांकि, 2017 के चुनाव में वह विधायक का चुनाव हार गईं। ऐसे में अब 22 साल बाद यह पालिकाध्यक्ष की सीट सामान्य होने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने इसी परिवार पर अपना भरोसा जताया है। एक बार फिर से हरिश्चंद्र आर्य को ही टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया है। अब चुनाव नतीजों के रूप में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस परिवार के राजनैतिक वर्चस्व को बरकरार रखती है या नहीं।