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Thursday, December 5, 2024

अखिलेश यादव के बयान से नाराज़ हो गए योगी आदित्‍यनाथ, कहा- ‘भगवान उन्‍हें सद्बुद्धि दे’



खास बातें
योगी ने कहा, हर भारतवासी अखिलेश के बयान पर आपत्ति करेगा.

योगी ने विधान परिषद में बजट पर सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही.

उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है और इस पर रोक लगनी ही चाहिए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर चीन का ‘महिमा मंडन’ करने के मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार को कहा कि भगवान उन्हें सद्बुद्धि दे.

योगी ने विधान परिषद में बजट पर सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बजट पर चर्चा के दौरान बहुत सी ऐसी बातें भी सदन में कही गईं, जिन पर उन्हें लगता है कि हर भारतवासी आपत्ति करेगा. उन्होंने अखिलेश की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘खासतौर पर पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एक दुश्मन देश का महिमामंडन करने का जो कुत्सित प्रयास किया गया है, मुझे उस पर बहुत आपत्ति भी है और अफसोस भी’. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य देने वाले नेताओं के बारे में सरदार पटेल की एक बात याद आती है. सरदार पटेल ने एक बार कहा था कि इस महान देश की स्वतंत्रता पर जब-जब संकट आए हैं, तब-तब बाहर के शत्रुओं से उतने नहीं जितने घर के मित्रों की तरफ से आए हैं.

उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है और इस पर रोक लगनी ही चाहिए. भगवान उन्हें (अखिलेश) सद्बुद्धि दे. मुख्यमंत्री के इस बयान के दौरान सदन में सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्य मौजूद नहीं थे.

योगी ने कहा कि विधानसभा से इस प्रकार के कुतर्कों और उनके कृत्यों के कारण प्रदेश की जनता ने सपा को सत्ता से बाहर करने का फैसला किया है. हम प्रार्थना करेंगे कि जल्द ही इस प्रकार की स्थितियां उच्च सदन में भी पैदा होंगी कि उन्हें स्वयं ही सदन को छोड़कर भागना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि ‘आश्चर्य होता है कि अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के बारे में भी प्रश्न उठाए. मुझे लगता है कि मुलायम सिंह जी तो अखिलेश यादव के भाग्य विधाता हैं. उन्होंने ही उन्हें सांसद बनाया होगा. उन्होंने ही उन्हें मुख्यमंत्री भी बनाया है और आज वह उनकी ही कार्यपद्धति पर प्रश्न उठा रहे हैं’.
मालूम हो कि अखिलेश ने गत बुधवार को बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान चीन का जिक्र करते हुए कहा था, ‘हम तो जानते हैं कि लड़ाई उसी से करो, जिससे जीत जाओ. चीन से थोड़ा संभल करके. कहते हैं कि भारत वर्ष 1962 वाला भारत नहीं है. यह क्यों नहीं जानते कि चीन वह नहीं है जो 1962 में था. वहां पर जो तरक्की और मूलभूत ढांचे की चीजें हैं, हम उसके पास नहीं पहुंच सकते’.

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