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Sunday, September 8, 2024

अखिलेश यादव को लगा एक और बड़ा झटका, योगी सरकार ने सारे अरमानों पर फेरा पानी


कानपुर देहात. उत्तर प्रदेश की पूर्व सपा सरकार में अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में प्रदेश के कानपुर देहात के रसूलाबाद विधानसभा को भी चयनित किया गया था। जिसके अंतर्गत मंगलपुर से रसूलाबाद के बीच बने मुख्य मार्ग की जर्जर हालत के चलते इस मार्ग को नीदरलैण्ड तकनीक से बनाने की योजना लाई गयी थी। बताया गया कि भारत की यह पहली विदेशी तकनीक की सड़क बनाई जा रही है।

सरकार गई, रुक गया काम

21 किमी के इस मार्ग के लिये 32 करोड़ लागत का अनुमान लगाया गया था। कार्यदायी संस्था काबा इंफ्राटेक प्राईवेट लिमिटेड द्वारा बीते वर्ष सड़क का कार्य शुरू कराया गया था। जिसमें विदेशी मशीनों ग्रेडर, स्प्रेडर आदि का इस्तेमाल कर जियो क्रीट सामग्री का प्रयोग कर सड़क निर्माण कार्य मंगलपुर से शुरू किया गया। इस दौरान शासन से महज 12 करोड़ रुपये धनराशि प्राप्त हुयी थी। जबकि अभी तक कार्यदायी संस्था द्वारा अभी तक करीब 21 करोड़ का कार्य होना बताया गया है। वहीं सत्ता परिवर्तन होने के बाद सत्ता में आयी भाजपा सरकार द्वारा अग्रिम धनराशि न मिलने से कार्य अधर में लटका हुआ है। बीते दिन इस तकनीक को देखने के लिये महाराष्ट्र प्रांत की टीम ने आकर निरीक्षण किया है।

अधूरे कार्य के बीच फंसे लोगो में आंदोलन की तैयारी

कार्यदायी संस्था काबा इंफ्राटेक द्वारा विदेशी तकनीक से वर्तमान मेंं मंगलपुर से कुंतलिया गांव तक ही कार्य हो सका है, जो करीब 13 किमी के दायरे में आता है। शेष 8 किमी की रेंज में अधूरे पडे निर्माण के चलते सड़क से उडने वाली धूल से आस पास गांव सहित रसूलाबाद कस्बा के लोग त्रस्त हो चुके है। दिन भर वाहनों के आवागमन के दौरान उडने वाली धूल से लोगो का जीना मुहाल है, जिससे लोगों का व्यापार भी चौपट हो रहा है। जब रसूलाबाद के लोगों ने काबा के अफसरों राकेश प्रताप सिंह से पूछा तो उन्होने बताया कि शासन से धन की मंजूरी न होने से कार्य अधर में लटका हुआ है। अभी तक करीब 21 करोड़ का कार्य हो चुका है। जबकि शासन से महज 12 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुआ है। शासन से धनराशि मिलने पर शेष मार्ग निर्माण का कार्य होगा।

इन विदेशी मशीनों से हो रहा निर्माण

इस नीदरलैंड तकनीक से कार्यदायी संस्था द्वारा बनाई जा रही मंगलपुर से रसूलाबाद मार्ग में विदेशी मशीनें स्प्रेडर, ग्रेडर, हमरोलर प्रयुक्त किये जा रहे है। इसके अतिरिक्त इस तकनीक में जियो क्रीट का इस्तेमाल किया जाता है, जो भारतीय तकनीक से भिन्न है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर बीते दिन साध्वी निरंजन ज्योति द्वारा मूसानगर में आयोजित संत अच्युतानंद निर्वाण दिवस पर शरीक हुये डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इस सड़क की तारीफ करते नही थक रहे है, लेकिन धनराशि के अभाव में ये ड्रीम प्रोजेक्ट दम तोड़ रहा है।

इस विधि से बनाते हैं ये विदेशी तकनीकी सड़क

काबा कम्पनी के उप प्रोजेक्ट मैंनेजर राकेश प्रताप सिंह ने बताया कि इस तकनीक के अंतर्गत सबसे पहले ग्रेडर द्वारा सड़क की खुदाई करते हुये उस मिट्टी को मिक्स किया जाता है। इसके बाद स्प्रेडर द्वारा उसमें सीमेंट का मिश्रण किया जाता है। फिर हमरोलर से उसके ऊपर चलाकर उसे बराबर किया जाता है। इसके बाद जियो क्रीट द्वारा डब्ल्यूएमएम की पर्त बनायी जाती है, जो इस तकनीक के अंतर्गत आता है। इस सड़क के निरीक्षण के लिये विदेशी अफसरों का दौरा भी कई बार हो चुका है, लेकिन शायद शासन से धनराशि के अभाव में ये ड्रीम प्रोजेक्ट लोगों के लिये ड्रीम ही बनकर रह जायेगा।
महाराष्ट्र की इस टीम ने दी दस्तक

इस सड़क की तकनीक समझने के लिये बीते दिन महाराष्ट्र से एक प्रतिनिधि मंडल आया, जिसमें महाराष्ट्र लोक निर्माण विभाग के सचिव सीपी जोशी, अधीक्षण अभियंता पीबी भोंसले की टीम ने झींझक के मुडेरा गांव के समीप रिसाइक्लिंग कर रही मशीन को चलवाकर एवं सड़क निर्माण की विधि को जांचा। इस दौरान अधीक्षण अभियंता पीबी भोंसले ने बताया कि रिसाइकिलिंग तकनीक से कम लागत में मजबूत सड़क निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में इस तकनीक से सड़क निर्माण कराया जायेगा।

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