मुख्यमंत्री रावत ने इस संबंध में शहरी विकास विभाग के अफसरों को प्रस्ताव तैयार करने को कहा था। आखिरकार शहरी विकास विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जिसमें निकायों के संविदा कर्मियों को विनियमित किए जाने की बात कही गई है। प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
नगर निकायों में संविदा कर्मियों को विनियमित किए जाने के बाद जहां उन्हें भारी वित्तीय लाभ होगा, वहीं सेवानिवृत्ति के उपरांत मिलने वाले दूसरे लाभ भी मिल सकेंगे।
ज्ञात हो कि नगर निकायों में औसतन पांच हजार ऐसे संविदा कर्मी हैं, जो पिछले कई दशक से नियमित किए जाने की मांग उठा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नही हो पाया है।
शहरी विकास विभाग के अफसरों ने संविदा कर्मियों के विनियमित करने का प्रस्ताव बेशक तैयार कर लिया है, लेकिन अफसरों को उनके वेतन की भी चिंता सताने लगी है।
सवाल उठता है कि ऐसे सभी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन और दूसरे भत्तों संबंधी लाभ कैसे दिया जाएगा? जबकि ज्यादातर नगर निकाय वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। आंकड़ों पर नजर डाले तो तमाम नगर निकायों में कुल मिलाकर 130 करोड़ की देनदारी है, जिसे देने में सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।