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Friday, January 17, 2025

अन्ना हजारे ने सरकारी मसौदे को बताया निरर्थक कहा, ‘जारी रहेगा उपवास’

शनिवार को आंदोलन में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के लोग शामिल रहे तथा कुछ लोग महाराष्ट्र और राजस्थान से भी आए.

नई दिल्ली: शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा था कि लोकतंत्र नहीं आया, अंग्रेज तो चले गए, सिर्फ गोरे गए और काले आ गए। जब तक किसानों को हक नहीं मिलता, तब तक लड़ना है। हड़ताल से पहले हजारे ने कहा कि उन्होंने सरकार को 42 बार पत्र लिखा, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। अंत में विवश होकर अनशन पर बैठना पड़ रहा है। इस बार आश्वासन पर आंदोलन खत्म नहीं होगा। जब तक मांग पूरी नहीं होगी, वे हटेंगे नहीं।
अन्ना ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को दिल्ली लेकर आ रही ट्रेन को केंद्र सरकार ने रद्द करा दिया है। इससे आंदोलनकारी हिंसा की ओर अग्रसर हो सकते हैं। मेरे लिए भी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। कई पत्र लिखे और कहा था कि मुझे सुरक्षा नहीं चाहिए। केंद्र की सुरक्षा उन्हें नहीं बचा सकती। सरकार का धूर्त रवैया ठीक नहीं है।

अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी मांगों को लेकर भेजे गए मसौदे को निरर्थक बताते हुए अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को जारी रखने का फैसला किया है। टीम अन्ना की कोर कमेटी के एक सदस्य सुशील भट्ट ने कहा, ‘हमें सरकार का मसौदा मिला लेकिन अन्ना जी ने कहा कि इसमें पुराने वादे किए गए हैं और इसमें कुछ भी नया नहीं है इसलिए यह निरर्थक है। यह सामान्य दस्तावेज है। कम से कम एक मंत्री को उनसे मिलना चाहिए।’
हजारे ने शुक्रवार को कहा था कि वे आंदोलन के समय सरकार से चर्चा करेंगे लेकिन अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का उनका सत्याग्रह तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसी ठोस योजना पर नहीं पहुंचती।आंदोलन के दूसरे दिन रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों की भीड़ बढ़ती रही जिनमें ज्यादातर किसान थे जबकि साल 2011 के आंदोलन में सर्वाधिक आक्रोशित रहा मध्यवर्ग कुछ हद तक कम रहा।
अन्ना के आंदोलन में इस बार किसी राजनीतिक दल के नेता को मंच नहीं दिया जाएगा
इसके साथ ही टीम का प्रत्येक सदस्य एक शपथ पत्र अन्ना को दे चुका है कि भविष्य में किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा। अन्ना के सहयोगियों का कहना है कि अब आंदोलन के सहारे कोई अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरन बेदी व जनरल वीके सिंह पैदा नहीं होगा। अन्ना कह चुके हैं कि इस बार आंदोलन में 2011 के आंदोलन का कोई सदस्य नहीं है। नए साथियों की टीम बनी है। सभी ने शपथ पत्र दिया है। इसके बाद ही आंदोलन के साथ काम करने की ड्यूटी दी गई है।
और पढ़ें-अन्ना हजारे का अनशन पार्ट-2 : जन लोकपाल बिल के लिए सरकार पर बनाएंगे दबाव
शनिवार को आंदोलन में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के लोग शामिल रहे तथा कुछ लोग महाराष्ट्र और राजस्थान से भी आए।भट्ट ने कहा कि आंदोलन में रविवार को वास्तव में संख्या बढ़ेगी। इस साल जनवरी में सचिवालय के बाहर जहर खाकर जान देने वाले महाराष्ट्र के किसान धर्म पाटिल के बेटे नरेंद्र पाटिल भी इस आंदोलन में भाग लेने आए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके पिता की मृत्यु के बाद भी लंबे समय से लंबित मुआवजा नहीं दिया है।
पाटिल ने कहा, ‘लिखित में आश्वासन देने के बाद भी महाराष्ट्र सरकार ने मेरे पिता की मृत्यु के बाद किए वादे पूरे नहीं किए। यह धोखेबाजी है। वर्तमान में किसान विरोधी व्यवस्था में मैंने किसानों की आवाज ऊंची उठाने के लिए इस आंदोलन का हिस्सा बनने का फैसला किया है।’हजारे भ्रष्टाचार की जांच के लिए केंद्र और राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त करने, चुनाव तंत्र में सुधार और देश में कृषि संकट के हल के लिए एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

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