नई दिल्ली, एजेंसी । अब रसोई गैस उपभोक्ताओं को अपने गैस सिलेंडर के लिए घबराने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। किसी भी कंपनी का डीलर या कर्मचारी आपके सिलेंडर को दूसरे को नहीं बेच सकेगा। गैस कंपनियों द्वारा अपने डीलरों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वह उपभोक्ताओं को ‘ईजी गैस कार्ड’बांटे। साथ ही एजेंसी के कर्मचारी को अपने साथ सिलेंडर लिकेज की जांच की सामग्री भी अपने साथ ले जानी होगी और उपभोक्ता की मांग के अनुसार उसे सुविधा देनी होगी।बताया जा रहा है कि गैस कंपनियों ने एजेंसी संचालकों को स्पष्ट निर्देश भी दिया है कि वे अपने एजेंसी में मैनपावर बढ़ाएं और उपभोक्ताओं को अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करें। छत्तीसगढ़ एलपीजी वितरक संघ के संरक्षक अब्दुल हमीद हयात ने बताया कि कंपनियां इन दिनों उपभोक्ताओं की सर्विस सुविधा बढ़ाने पर अधिक से अधिक ध्यान दे रही हैं। इन सुविधाओं के लिए एजेंसियों को मैनपॉवर भी बढ़ाने होंगे।
क्या है ईजी गैस कार्ड
ईजी गैस कार्ड भी एक तरह से उपभोक्ता का गैस एजेंसी द्वारा दी जाने वाली पासबुक ही है, जिसमें उपभोक्ता का कन्ज्यूमर नंबर व अन्य चीजें लिखी रहेंगी। लेकिन इसमें अंतर यह रहेगा कि एजेंसी के कर्मचारी उपभोक्ता को यह कार्ड देगा और हर माह उसमें एंट्री करनी होगी। अगर एजेंसी वाला गलत तरीके से आपका सिलेंडर दूसरे को दे भी देता तो सब्सिडी तो आपके खाते में ही जाएगी, साथ ही यह सिलेंडर भी आपको उपलब्ध करवाना होगा।
सिलेंडर समय पर न पहुंचने पर करें शिकायत
ऑनलाइन बुकिंग के बाद भी अगर आपका सिलेंडर समय पर नहीं पहुंच रहा है तो कंपनी के अधिकारियों के पास इसकी शिकायत करें। कंपनी अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए ही इन दिनों गैस एजेंसियों में संबंधित अधिकारियों के नंबर भी दिए होते हैं तथा आपको सर्विस उपलब्ध कराने के लिए गैस कर्मचारी का भी नंबर होता है। नियमानुसार ऑनलाइन बुकिंग के चौबीस घंटे के बाद ही आपके घर सिलेंडर पहुंचना चाहिए, लेकिन किसी कारणवश विलंब होता भी है तो तीन दिन से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके बाद भी अगर कुछ एजेंसियों द्वारा सिलेंडर पहुंचाने में मनमानी की जा रही है तो तुरंत ही इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी से करें।
ऑनलाइन बुकिंग में भी आ रही परेशानी
इन दिनों एलपीजी उपभोक्ताओं के सामने एक नई मुसीबत सामने आ रही है। इसमें ऑनलाइन बुकिंग में भी उपभोक्ताओं को परेशानी आ रही है। कभी बुकिंग के बाद भी सिलेंडर नहीं पहुंचता तो कभी बुकिंग ही नहीं होती। इसके चलते भी उपभोक्ताओं की परेशानी और बढ़ रही है।