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Tuesday, December 3, 2024

अब और क्या सुबूत चाहिए इनकी हटधर्मिता का ये सब तो अपने साहब की भी नही सुनते…

इरफ़ान शाहिद:NOI।

गोमतीनगर में हुई विवेक तिवारी की हत्या का जो मुख्य आरोपी है वो पुलिस विभाग का ही एक सिपाही है नाम है प्रशांत चौधरी।जब से घटना हुई तभी से लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए थे लोग कहने लगे थे कि पुलिस बेलगाम हो गई है उसे अपराधी और आम जनता में फर्क तक नही दिखता ऐसे पुलिस कर्मी को तो फांसी की सज़ा होनी चाहिए। इस मामले को लेकर पुलिस का विरोध और उसके प्रति आक्रोश आम और खास सभी मे दिखा पुलिस विभाग पर ये इल्ज़ाम भी लगा कि वो अपने सिपाही को बचाने का प्रयास कर रही है बात बढ़ी और दबाव भी बढ़ा उसके बाद प्रशांत को इस हत्या का आरोपी मानते हुए जेल में डाल दिया गया बाकी का फैसला न्यायिक प्रक्रिया के बाद ही होगा लेकिन कल तक जो पुलिस कर्मी कहते थे कि सब पुलिस वाले एक से नही होते आज वही सारे लोग सिपाही की गिरफ्तारी से नाराज़ होकर काला दिवस मना रहे हैं मानो किसी बेगुनाह को गुनाहगार बना दिया गया हो।

और तो और खुद डीजीपी साहब ने कहा था कि कोई भी पुलिसकर्मी काला दिवस इस मामले को लेकर नही मनाएगा और ना ही हाथ मे काली पट्टी बंधेगा लेकिन आज थानों की जो तस्वीरें सामने आई है वो ये बताने के लिए काफी हैं कि इनको किसी की परवाह नही ये खुद को ही सर्वोपरि मानते हैं।अगर ऐसा ना होता तो विवेक हत्याकांड में आरोपी सिपाही प्रशांत चौधरी के समर्थन में लखनऊ के पुलिसकर्मी नही आते और ना ही उत्तर प्रदेश राज्य पुलिस कर्मचारी परिषद के बैनर तले प्रशांत को निर्दोष बताते हुए पुलिसकर्मी बांह पर काली पट्टी बांध काला दिवस मना रहे होते।

शुक्रवार को लखनऊ के कई थानों पर तैनात पुलिसकर्मियों ने काली पट्टियां बांधकर काम किया। गुडंबा थाना, नाका, अलीगंज के साथ-साथ एसएसपी कार्यालय के पुलिसकर्मी भी आरोपी सिपाही प्रशांत के समर्थन में उतरे दिखाई दिए।तो इनसे कोई ये पूछे कि क्या आपको भी न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा नही है जब चश्मदीद चीख चीख कर कह रहा है कि ऐसी घटना हुई और इसने घटना को अंजाम दिया तो आपने ही तो उसको जेल पहुंचाया फिर ये काला दिवस किस बात का क्या ये सब आपसे ज़बरदस्ती कराया गया अगर प्रशांत बेगुनाह होगा

तो जल्द बाइज़्ज़त बरी भी होगा और दोषी हुआ तो जेल में ही रहेगा जिसे खुद आपने ही भेजा है तो इस काले दिवस का क्या मतलब क्या आप की नज़र में उसने जो किया वो जायज़ था क्योंकि आपका विरोध तो यही बताने की कोशिश कर रहा है कि आप सब उसके साथ है जो फिलहाल एक आम आदमी को गोली मारने की वजह से जेल में बंद है अब अगर वो पुलिसकर्मी ही है तो क्या।

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