नई दिल्ली। गरीबों और किसानों के मुद्दे को लेकर पहले ही मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे विपक्ष के हाथों में मदंसौर में हुई हालिया घटना ने मानो एक नया हथियार थमा दिया है। पता चला है कि आने वाले दिनों में विपक्ष एकजुट होकर किसानों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेर सकता है। इसके लिए बाकायदा विपक्षी दलों के बीच आपस में संपर्क जारी है। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर विपक्ष कोई आंदोलन कर सकता है। किसान मुद्दे को लेकर खासकर मंदसौर में हुई गोलीबारी को लेकर विपक्षी दलों ने अपने अपने स्तर पर प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दी हैं। इतना ही नहीं, विपक्ष के कुछ नेता भी मंदसौर जाने की योजना बना रहे हैं।
जहां एक ओर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मध्य प्रदेश जाने की चर्चा है, वहीं दूसरी ओर जेडीयू नेता शरद यादव के भी मदंसौर जाने की बात कही जा रही है। उल्लेखनीय है कि यादव खुद मध्य प्रदेश से आते हैं। इस बारे में यादव का कहना था कि उनकी बुधवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात हुई। हम दोनों साथ जाने की योजना बना रहे हैं। वहीं सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने संकेत दिया कि उनकी पार्टी से भी कोई घटनास्थल पर जा सकता है। बुधवार को मीडिया से मुलाकात में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के वर्कर्स पहले ही वहां पहुंच चुके हैं, जल्द ही पार्टी का कोई नेता भी वहां जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जिस राष्ट्रपति चुनाव को लेकर समूचा विपक्ष एकजुट हुआ, वहीं किसानों पर हुई गोलीबारी के घटना के मद्देनजर कहीं पीछे चला गया लगता है। बुधवार को येचुरी एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मिले। कहा जाता है कि येचुरी राष्ट्रपति चुनावों को लेकर पवार से बात करने गए थे। बताया जाता है कि जब येचुरी ने राष्ट्रपति चुनाव का मुद्दे छेड़ा तो पवार ने जवाब दिया, राष्ट्रपति चुनाव तो अपनी जगह है, लेकिन फिलहाल उससे बड़ा मसला किसानों का बन गया है। इस पर ध्यान देना होगा। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनावों के बहाने एक हुए विपक्ष ने अब सरकार को घेरने के लिए मुद्दों पर आधारित गोलबंदी की तैयारी कर ली है।
उधर जेडीयू के केसी त्यागी ने भी विपक्ष की रणनीति का संकेत देते हुए कहा कि किसानों का मुद्दा काफी बड़ा हो गया है। उनका कहना था कि अलग-अलग दल हमेशा से किसानों का मुद्दा अपने अपने तरीके से उठाते रहे हैं। अब साथ मिलकर भी उठाने की तैयारी है। गुंटूर में कांग्रेस द्वारा विपक्षी दलों के आयोजन में भी हमने किसानों का मुद्दा उठाया था। उल्लेखनीय है कि त्यागी खुद बुधवार को दिल्ली बॉर्डर पर लोनी के पास स्थित मडोला गांव का दौरा करके लौटे हैं। उनका कहना था कि किसानों का एमएसपी का मुद्दा, कर्ज माफी, किसानों की बढ़ती आत्महत्याएं, कई राज्यों में भूमि अधिग्रहण कानून में राज्य सरकारों की ओर से सेंध लगाने की तैयारी जैसे मुद्दे बेहद अहम हैं। इन्हें लगातार उठाकर सरकार पर दबाव डालने की कोशिश होनी चाहिए।
वहीं विपक्ष के सीनियर नेता ने इस मुद्दे को लेकर हो रही गोलबंदी के बारे में संकेत देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में विपक्ष कोई आंदोलन कर सकता है। इनमें भारत बंद से लेकर धरना व प्रदर्शन व आंदोलन कुछ भी हो सकता है। संकेत मिला है कि स्वामीनाथन कमिटि की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष कोई आंदोलन या प्रदर्शन कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, इसे लेकर विपक्षी दल आपस में बातचीत कर रहे हैं। वहीं जिन दलों के अपने किसान संगठन हैं, वे आपस में लगातार संपर्क में हैं। आने वाले दिनों में विपक्ष इसे लेकर व्यापक आंदोलन छेड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि विपक्ष किसानों के मुद्दे को लेकर कुछ उसी तरह से आक्रामक रुख दिखाने की योजना बना रहा है, जैसे लैंड बिल को लेकर तीखे तेवर सामने आए थे। दरअसल, विपक्ष को कहीं न कहीं लग रहा है कि साल 2019 के से पहले होने वाले गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व नॉर्थ ईस्ट के कुछ राज्यों में होने वाले असेंलबी चुनावों के मद्देनजर किसानों से जुड़ा मुद्दा ही ऐसा मुद्दा है, जो जमीनी स्तर पर सीधे वोटर को प्रभावित करता है। जिसे लेकर विपक्ष मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर सकता है।