अब चुनावों के नतीजे जानने के लिए ज्यादा इंतजार करना होगा. जैसे अभी वोटिंग शुरू होते ही आधे घंटे में टीवी चैनल कौन जीत रहा है ये बताने लगते हैं और 4 से 5 घंटे में नतीजे भी आने शुरू हो जाते हैं. अब इसमें 3 से 4 घंटे तक की देरी हो सकती है. इससे साफ है कि आपके क्षेत्र में कौन जीता, शाम से पहले तो शायद ही पता चले.
ऐसा क्यों होगा?
असल में एक अंग्रेजी अखबार ने एक खबर दी है. रिपोर्ट ये है कि चुनाव आयोग अब हर चुनाव में ऐसी ईवीएम का इस्तेमाल करने का मन बना रहा है जो वीवीपीएटी नाम की एक मशीन से जुड़ी होंगी. वीवीपीएटी यानी वो मशीन जो ईवीएम में दर्ज हुए वोट को एक पर्ची पर भी दर्ज करेगी. यानी कहां किसे कितने वोट मिले हैं इसकी गिनती अब पर्ची से भी हो सकेगी. मतलब अब चुनाव के नतीजों पर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं बचेगी.
खबर है कि वीवीपीएटी वाली ईवीएम का इस्तेमाल इसी साल के अंत में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ही शुरू हो सकता है और आगे चल कर तो देश में कहीं भी चुनाव हों, चुनाव आयोग हर चुनाव में मतदान कराने के लिए वीवीपीएटी मशीन से जुड़ी ईवीएम का ही इस्तेमाल करेगा. यानी चुनाव आयोग का एक कदम ईवीएम मशीन में धांधली करने के आरोप से जुड़े सभी विवाद को एक झटके में खत्म कर देगा.
3 घंटे की देरी से आ सकते हैं नतीजे
आपको याद होगा कि यूपी चुनावों के बाद कई विपक्षी दलों ने ईवीएम के नतीजों पर सवाल उठाया था. कई पार्टियों ने हर चुनाव में वीवीपीएटी का इस्तेमाल करने की मांग की थी. आयोग ने अब इस मांग को पूरी करने की तैयारी भी कर ली है, लेकिन इसकी वजह से चुनाव के नतीजे अब पहले की तरह तेजी से नहीं आएंगे.
चुनाव के नतीजे आने में अब आमतौर पर 3 घंटे तक की देरी हो जाया करेगी, क्योंकि आयोग हर चुनाव क्षेत्र के 3 से 4% मतदान केंद्रों के ईवीएम के साथ वीवीपीएटी की पर्चियों की भी गिनती कराएगा.
अंदाजा ये है कि अगर इन पर्चियों की गिनती ईवीएम की गिनती से पहले हुई तो नतीजों का जो पहला रुझान आता है वो 3 घंटे की देरी से आएगा और अगर वीवीपीएटी की पर्चियों की गिनती ईवीएम की गिनती के बाद होती है तो नतीजे में देरी हो जाया करेगी. यानी ये हालात तब होंगे जब किसी विधानसभा के सिर्फ 3 से 4% पर्चियों की ही गिनती की जाएगी.
VVPAT की पर्ची की गिनती में क्यों होगी देर?
असल में वीवीपीएटी से निकलने वाली पर्ची बहुत छोटी होती है. ईवीएम के पहले इस्तेमाल होने वाले मतपत्रों से इन पर्चियों का मुकाबला किया जाए तो छोटे आकार के कारण इन्हें गिनने में मुश्किल पेश आएगी.
यही नहीं ये पर्चियां बहुत ही पतले कागज वाली होती हैं तो इनके एक दूसरे से चिपकने की भी समस्या पेश आएगी. जब इन्हें बहुत सावधानी से गिना जाएगा तभी इनकी सटीक गिनती हो सकेगी. यही नहीं प्रत्याशी किसी भी मतदान केंद्र पर ईवीएम से पड़े वोट और वीवीपीएटी से निकली पर्चियों के मिलान की मांग कर सकते हैं.
यानी जब भी ऐसी कोई मांग हुई चुनावों के नतीजे आने में और देरी हो जाएगी. वो भी तब जब इस तरह की गिनती एक क्षेत्र के 4 से 5% मतदान केंद्र के लिए ही होगी. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने तो हर चुनाव क्षेत्र के कम से कम 25% मतदान केंद्रों की पर्चियों का ईवीएम से पड़े मतों से मिलान करने की मांग की है. आयोग ने इसे नहीं माना है क्योंकि ऐसा हुआ तब तो नतीजे 26 घंटे तक देर हो जाया करेंगे.