नई दिल्ली, एजेंसी। कैबिनेट ने बुधवार को एक स्वतंत्र रेल नियामक प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी। ये प्राधिकरण रेल किराए की दरें तय करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि रेलवे में निवेश की इच्छा रखने वाली निजी क्षेत्र की इकाइयों को भी कारोबार के समान अवसर उपलब्ध हों। इसे रेल सेक्टर में सबसे बड़ा और अपनी तरह का पहला सुधार माना जा रहा है।
यात्रियों की बढ़ेगी सुविधा
रेल विकास प्राधिकरण (आरडीए) का गठन यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं में सुधार लाने, निवेशकों को उपयुक्त माहौल उपलब्ध कराने और पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाने के लिए किया जा रहा है। कैबिनेट के फैसले के अनुसार, आरडीए का गठन सरकार के सरकारी आदेश के तहत होगा।
निजी निवेश बढ़ाने पर रहेगा बल
यह प्राधिकरण निजी निवेश के लिए नीतियाों के बारे में सुझाव देगा, जिससे सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं में निवेशकों को समुचित सुरक्षा उपलब्ध कराए जा सकें और भविष्य में छूट संबंधी करार से संबंधित विवादों का निपटारा किया जा सके। वर्ष 2001 से कई समितियों ने ऐसे रेल नियामक की स्थापना की जरूरत बताई थी। इसमें 2001 में राकेश मोहन की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह, 2014 में राष्ट्रीय परिवहन विकास नीति समिति (एनटीडीपीसी) और 2015 में विवेक देबराय समिति ने नियामक बनाने की जरूरत बताई थी।
किराये की दरें तय करना होगा अधिकार
यह प्राधिकरण रेलवे अधिनियम 1989 में निर्धारित कायदों के तहत काम करेगा। इसका मुख्य काम किराए की दरें तय करना, जिंसों का वर्गीकरण करना, सामाजिक सेवा दायित्व के सिद्धांत तय करना तथा रेल लाइनों के इस्तेमाल की फीस निर्धारित करने के लिए दिशानिर्देश तय करना होगा।