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Sunday, January 19, 2025

अमित शाह के चक्रव्यूह को तोड़ेंगी मायावती, अपने इस दांव से बीजेपी की बढ़ाएंगी मुश्किलें

कानपुर. समाजवादी पार्टी और बसपा गंठबंधन के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बनाए चुनावी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए जुट गए हैं। पार्टी में पदाधिकारियों से लेकर बूथ लेवल पर 50 फीसदी युवाओं की नियुक्ति का फरमान बसपा सुप्रीमो मायावती ने सुना दिया है और इसके लिए बकाएदा जिलाध्यक्षों को दल में शामिल किए गए युवाओं के नाम पार्टी कोआर्डिनेटर के जरिए प्रदेश कार्यालय लखनऊ भिजवाने का आदेश दिया है। इसी के बाद से पार्टी पदधिकारी गली, मोहल्ले और गांवों चक्कर लगा रहे हैं और बसपा की विचारधारा को युवाओं के समक्ष रख दल में शामिल करा रहे हैं। बसपा को 17 जिलों की 52 विधानसभा क्षेत्रों में 20 हजार बूथ लेबल पर युवाओं की फौज खड़ी करनी है और 30 अप्रैल तक नियुक्ति फार्म भरकर पूरी सूची सीधे बसपा प्रमुख के पास पहुंचानी है।
हर बूथ पर युवाओं की फौज
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने विधानसभा चुनाव से पहले रूमा में बैठक कर कानपुर और बुंदेलखंड क्षेत्र में फौज का गठन किया और यहां से मानवेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया। मानवेंद्र सिंह की आगवाई में भाजपा ने बूथ लेबल पर 18 हजार बूथ प्रमुख और 28 विस्तारों की नियुक्ति की। जिसके बल पर भाजपा ने 52 में से 47 सीटों पर जीत दर्ज की। उसी फार्मूले को बसपा प्रमुख ने अपनाने का आदेश पार्टी के पदाधिकारियों को दिया है। मायावती ने 2019 से पहले पार्टी में सेक्टर और बूथ कमेटियों में 50 फीसद युवाओं को पदाधिकारी बनाने का निर्णय लिया है। पार्टी ने कमेटियों के गठन का कार्य शुरू किया है। अब ऐसे युवाओं की तलाश की जा रही है जो सक्रिय हों और बसपा प्रमुख मायावती की नीतियों को जन-जन तक पहुंचा सकें। युवाओं को पार्टी से जोड़कर मतदान के दिन मतदाताओं को बूथों तक ला सकें।
हार के बाद बदली रणनीति
भाजपा ने नरेंद्र मोदी को 2014 लोकसभा चुनाव में बतौर पीएम कैंडीडेट घोषित किया तो अमित शाह ने पूरी ताकत यूपी में लगा दी। संघ प्रमुख से लेकर भाजपा के कई दिग्गज नेता यूपी में अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए। भाजपा ने दलितों को पाले में लाने के लिए बूथों पर गैर जाटवों को प्रमुख बनाया और परिणाम यह रहा कि 2011 से लेकर 2017 तक बसपा चुनाव हारती रही और जहां कभी कमल नहीं खिला, वहां केसरिया फहराया। पर मायावती ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है। दलित हो या मुस्लिम मतदाता, उनका मत पार्टी के पक्ष में पड़े इसलिए युवाओं को जोड़ने का कार्य पार्टी पदाधिकारियों ने शुरू कर दिया है। युवा चाहेंगे तभी जीत मिलेगी, यह बात अब बसपा नेतृत्व को समझ आ गई है। इसलिए जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि सेक्टर और बूथ कमेटियों में युवाओं को जिम्मेदारी दें। उन्हें पार्टी की नीति समझाएं। केंद्र या प्रदेश सरकार के विरुद्ध जब आंदोलन हो तो युवाओं को आगे रखा जाए।
50 फीसदी युवा बनेंगे पदाधिकारी
मायावती ने कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों की 52 विधानसभा क्षेत्रों में वहां के जिलाध्यक्षों और विधानसभा प्रभारियों से कहा है कि हर एक विधानसभा में युवाओं की भागीदारी 50 फीसदी होनी चाहिए। मायावती ने पत्र के जरिए यह भी कहा है कि युवाओं के साथ ही युवतियों को भी पार्टी का पदाधिकारी बनाया जाए। ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम युवकों को पार्टी से जोड़े। साथ ही ब्राम्हणों को भी बसपा की विचारधारा से अवगत करा उन्हे पार्टी में पद दें। मायावती ने बसपा नेताओं से कहा कि हैं स्कूल, कॉलेज इंजीनियोरग कॉलेजों, मेडिकल कालेज, महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पार्टी से जोड़ें। चूंकि छात्र-छात्राओं की नजर देश की हर बड़ी घटना पर होती है ऐसे में वे पार्टी की नीतियों को जन-जन तक आसानी से पहुंचा सकेंगे।
इस तरह इकाई का गठन
पार्टी की सेक्टर इकाई में अध्यक्ष, एक कोषाध्यक्ष, एक महासचिव के साथ 10 सचिव बनाए जाएंगे। इसी तरह वार्डो में अध्यक्ष, एक महासचिव व एक कोषाध्यक्ष होंगे। इन इकाइयों के गठन के बाद बूथों पर भी संगठन को मजबूत किया जाएगा। जोनल कोआर्डिनेटर नौशाल अली ने बताया कि भाजपा को हराने के लिए पार्टी एकजुट है और पूरी ताकत के साथ 2019 के मुकाबले के लिए कमर कस चुकी है। पार्टी प्रमुख के आदेश के बाद युवाओं को बसपा से जोड़ने का कार्य शुरू कर दिया गया है। जल्द ही हर जिले में 50 फीसदी युवाओं के हाथों में बसपा की बागडोर होगी। जो पदाधिकारी और कार्यकर्ता अच्छा काम करेगा उसे 2022 में इनाम भी मिलेगा।

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