लखनऊ. देश के सबसे बड़े मुद्दे राम मंदिर मामले में शिया वक्फवोर्ड के हलफनामा से नया मोड़ आ गया है। उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने शीर्ष में एक हलफनामा दिया है। इस हलफनामा ने अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि विवाद को नई दिशा दे दी है। अपने हलफनामा में शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि ढहाई गई बाबरी मस्जिद उसकी प्रॉपर्टी थी और अब वो मस्जिद को विवादित स्थल से दूर कहीं बहुल इलाके में बनाना चाहता है।
बतादें कि इस ममाले में सुप्रीम कोर्ट 11 अगस्त को सुनवाई करने जा रहा है और शिया वक्फ बोर्ड ने खुद ये बात सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में कही है। इस मामले में बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने का कहना है कि शिया वक्फ बोर्ड ने भगवान की मर्जी से हस्तक्षेप किया है।
झगड़े की आशंका होगी
शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि दोनों धार्मिक स्थल के पास होने से झगड़े की आशंका होगी, मंदिर और मस्जिद दोनों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता है। बोर्ड ने यह भी कहा कि 1946 तक बाबरी मस्जिद उनके पास थी। अंग्रेजों ने गलत कानून प्रक्रिया से इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया था। शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद मीर बकी ने बनवाई थी जो कि शिया था।
शांतिपूर्ण तरीके से चाहते हैं
शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि बाबरी मस्जिद शिया प्रॉपर्टी थी। हम इस विवाद का हल शांतिपूर्ण तरीके से चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट में दिए एफिडेविट में शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि मस्जिद को कहीं बहुल इलाके में बनाना चाहिए, जो अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि की जगह से उचित दूरी पर हो। शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से थोड़ा समय भी मांगा है, जिसमें वो श्रीराम जन्मभूमि के मामले को निपटाने के लिए एक कमेटी का गठन कर सके।
11 अगस्त से होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि विवाद मामले की सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की स्पेशल बेंच तय कर दी है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की बेंच अपीलों पर 11 अगस्त से मामले की सुनवाई करेगी। अब स्पेशल बेंच के गठन के बाद सात वर्षों से लंबित इस मामले में नियमित सुनवाई और जल्दी निपटारे की उम्मीद जगी है।
रामजन्म भूमि विवाद मामले में जमीन के तीन बराबर हिस्सों में बंटवारे के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को भगवान रामलला विराजमान सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा रखी है और पक्षकारों को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि हाई कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 30 सितंबर, 2010 को दो-एक के बहुमत से फैसला सुनाया था। बाद में शीर्ष कोर्ट ने इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी। साथ ही मामला लंबित रहने तक विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।