नई दिल्ली। अयोध्या ढांचा विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सरीखे नेताओं के लिए मुश्किलें जरूर खड़ी कर दी है। लेकिन इसका राजनीतिक असर बहुत जल्द दिखे इसकी संभावना कम है। नेतृत्व की ओर से जहां यह संकेत दिया जा चुका है कि भारती का इस्तीफा नहीं होगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शीर्ष नेतृत्व ने लंबी बैठक कर हर पहलू पर विचार किया।
सूत्र बताते हैं कि बुधवार की उच्चस्तरीय बैठक पहले से तय थी और उसमें कश्मीर जैसे कई मुद्दे एजेंडे में शामिल थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह प्रमुखता में आ गया। दोपहर को बुलाई गई बैठक में मोदी के साथ साथ पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेटली, शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू और सड़क परिवहन मंत्री नितिन प्रधान मौजूद थे। बैठक के अंदर की जानकारी नहीं मिल पाई। पर सूत्रों का मानना है कि भाजपा के लिए यह मुद्दा इसलिए थोड़ा पेचीदा है क्योंकि पार्टी खुद ध्वंस को जनमानस की भावना का विस्फोट मानती है। उधर सूत्रों की मानी जाए तो आडवाणी और जोशी के बीच भी कुछ चर्चा हुई।
यूं तो उमा के इस्तीफे को लेकर खुद कांग्रेस ने चुप्पी साध ली है, लेकिन सरकार की ओर से भी संकेत है कि इस्तीफे की जरूरत ही नहीं है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक सवाल के जवाब में कहा- यह बहुत पुराना मानना है और चार्जशीट के आधार पर इस्तीफा होने लगा तो फिर कांग्रेस के बचे खुचे मुख्यमंत्री को भी जाना पड़ेगा।