इरफान शाहिद:NOI।
कोई बड़ी कम्पनी जब भी मार्केट में आती है तो वो ग्राहक बनाने के लिए फायदेमंद स्कीम उसको उस वक्त तक बताती रहती है जब तक ग्राहक उसकी सेवा लेने को मजबूर ना हो जाये और एक बार जब ग्राहक उसके अधीन हुआ फिर ग्राहक की नही बल्कि कम्पनी अपनी ही बात पर अडिग रहती दिखाई देती है ऐसा ही एक मामला आईसी आईसी आई लाम्बार्ड इंश्योरेंस की तरफ से आया है जहां मोटर मालिक अपनी गाड़ी के क्लेम के लिए आफिस के चक्कर पर चक्कर लगा रहा है पर कम्पनी उसे अपनी राम कहानी सुना कर पल्ला झाड़ती दिखाई दे रही है।
पीड़ित की माने तो उन्होंने जिस वक्त अपनी कार का इंश्योरेंस आईसी आईसी आई लाम्बार्ड में कराया था उस वक़्त सारी बात आईने की तरह साफ हो गई थी कि इंशोरेंस के दौरान गाड़ी में आई खरोच का खर्चा भी ये कम्पनी देगी और आप हमारी कम्पनी पर विश्वास करिये इसी विश्वास के साथ उन्होंने गाड़ी का इंश्योरेंस करवा लिया था।लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब गाड़ी क्षतिग्रस्त हुई और क्लेम के लिए पीड़ित इंश्योरेंस आफिस पहुंचा।
पीड़ित ने गाड़ी पर क्लेम के लिए वो दस्तावेज दिखाए जो मोटर सर्विस वालों ने उसे बना कर दिया था और जिसमे साफ साफ लिखा था कि ये ये सामान डैमेज है और इतना खर्चा आएगा।पीड़ित को लगा कि थोड़ी देर बाद उसको उसकी रकम का चेक मिल जाएगा और आराम से वो अपनी गाड़ी लेकर यहां से रवाना भी हो जाएंगे।
मगर 18 दिनों से गाड़ी एन्विशन हांडा के सर्विस स्टेशन में ही खड़ी है और पीड़ित से कोई सीधे मुह बात तक नही कर रहा है।पीड़ित ने ये भी बताया कि जब मोटर सर्विस का क्वेश्चन उन्होंने कम्पनी को दिया तो कम्पनी ने उसमे से सिर्फ 3 चीज़ों पर टिक लगाई और कहा कि कम्पनी इसी का क्लेम देगी बाकी आप खुद वहन करेंगे।ये सुनकर पीड़ित के पैरों तले जमीन खिसक गई उसे लगने लगा कि यहां इंश्योरेंस करवा के वो बहुत बुरा फसा है या यूं कहें कि कम्पनी ने उसे झूठे वादे करके फसाया है।क्लेम की राशि जो सर्विस सेंटर ने बताई है वो तक़रीबन 31506 है और कम्पनी मात्र 5900 देने की बात कह रही है जिससे पीड़ित मानसिक रुप से भी प्रताड़ित हो रहा है और बार बार कम्पनी के चक्कर लगाकर थक भी गया है वो चाहता है कि उसे पूरा ना सही पर 12000 तो कम्पनी से मिल ही जाए पर कम्पनीअपनी बात से टस से मस नही हो रही।
आईसी आईसी आई लाम्बार्ड से इंश्योरेंस करवाकर पीड़ित आहत भी है वो चाहता है कि उसे गाड़ी की मरम्मत का पूरा खर्चा दिया जाए क्योंकि कम्पनी ने पहले ये बात पीड़ित से कह कर ही इंश्योरेंस किया था।खैर मामला अभी फसा है कम्पनी का कोई भी अधिकारी स्पष्ट बात नही कर रहा और पीड़ित 18 दिनों से गाड़ी के बिना ही रह रहा है।
यहां एक बात समझ मे नही आती कि आईसी आईसी आई सरीखी प्राइवेट कंपनी जो प्रचार में पैसा पानी की तरह बहाती है वही कम्पनी अपने ग्राहक के साथ इस तरह क्यों पेश आती है क्या उसका मकसद सिर्फ एक बार ही सेवा देने का है क्योंकि अगर सेवा ऐसी होगी तो कोई भी एक ही बार इस कम्पनी से जुड़ेगा बार बार नही।
उम्मीद यही की जानी चाहिए कि ये मामला बड़े अधिकारियों तक पहुंचे और पीड़ित को न्याय मिले क्योंकि पीड़ित के विश्वास के साथ साथ कम्पनी की साख पर भी बट्टा लगाती नज़र आ रही है ये खबर।