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Tuesday, November 12, 2024

आखिरकार राजभर साहब की छुट्टी हो ही गई…

दीपक ठाकुर:NOI-

ऐसे कयास तो पहले से लगाये जा रहे थे कि यही कार्यवाही होनी है लेकिन समय जरूर वाजिब दिया गया पर उनके ना सुधरने पर ये कर ही दिया गया।आपको बता दें कि ओम प्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया है। वह पिछड़ा वर्ग कल्याण और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री के पद पर थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह ही राज्यपाल रामनाईक से उन्हें हटाने की सिफारिश की थी जिस पर राज्यपाल ने सहमति दे दी। इसके अलावा राजभर की पार्टी के अन्य सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य हैं सभी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।वही राजभर का कहना है कि उन्होंने पहले भी इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया था।

राजभर अपने बयानों से अक्सर भाजपा को असहज करते रहे हैं। उन्होंने एनडीए में रहने के बाद भी लोकसभा चुनाव में यूपी में अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस दौरान भाजपा नेताओं ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानें। राजभर ने चुनाव के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती के अगला प्रधानमंत्री बनने की बात भी कही थी।

बर्खास्त होने के बाद राजभर ने मीडिया को बयान देते हुए कहा कि मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले का स्वागत करता हूं। भाजपा पिछले एक साल से मुझे सरकार से बाहर करने का रास्ता तलाश रही थी। भविष्य में फिर से भाजपा में शामिल होने पर राजभर ने कहा कि राजनीति में विकल्प हमेशा खुले रहते हैं। अभी फिलहाल मैं अपने मुद्दों को लेकर समाज के बीच जाऊंगा और अकेले 2022 के चुनाव की तैयारी करूंगा।

राजभर ने कहा कि मैंने सिर्फ एक सीट पर ही अपने सिम्बल पर चुनाव लड़ने की मांग की थी लेकिन भाजपा मुझे खत्म कर अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाना चाहती थी। इसलिए मैंने मना कर दिया।राजभर ने कहा कि मैं सत्ता लोलुप नहीं हूं। बाबासाहेब को भी दलितों की आवाज उठाने के लिए पद छोड़ना पड़ा था। मंत्रिमंडल से हटना मेरे लिए भी आश्चर्य की बात नहीं है।

इस कार्यवाही पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि भाजपा गठबंधन धर्म निभाने व अपने सहयोगियों का पूरा सम्मान एवं भागेदारी करने वाला दल है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में हमारे गठबंधन सहयोगी रहे श्रीमान ओमप्रकाश राजभर ने हर कदम पर गठबंधन धर्म की मर्यादा का न केवल उल्लंघन किया बल्कि उसे तार-तार भी किया। इसलिए पार्टी और सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी दोनों को ही सख्त निर्णय लेने पर विवश होना पड़ा है।

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