नई दिल्ली। बिहार में चल रही सियासी उठापटक के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुजरात की 2 राज्यसभा सीटों से उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी गुजरात से पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार होंगे। गुजरात में कुल तीन सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है। अगर कांग्रेस के विधायकों का साथ मिला तो भाजपा यहां तीसरी राज्यसभा सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतारेगी। गुजरात में साल 2017 के अंत में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में अमित शाह और स्मृति ईरानी को गुजरात से राज्यसभा में भेजना सियासी गलियारों में काफी अहम माना जा रहा है।
गुजरात में बदल गए हैं सियासी समीकरण
दरअसल, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री और अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद से ही गुजरात में पार्टी के लिए अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। पहले पाटीदार समाज का आरक्षण के लिए आंदोलन और फिर उना में दलितों की पिटाई के मुद्दे पर पार्टी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने तो भाजपा के सारे सियासी समीकरण बदल दिए हैं। इस लिहाज से पार्टी गुजरात से अपने ऐसे दो नेताओं को राज्यसभा में भेजना चाहती है, जो केंद्रीय नेतृत्व के करीबी हों और कार्यकर्ताओं में भी जिनकी अच्छी खासी पकड़ हो।
मिशन 150′ के लिए गुजरात में शाह जरूरी
अमित शाह चूंकि गुजरात से ही विधायक हैं और वहां इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए उनके इस्तीफे के बाद उपचुनाव नहीं होगा। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए अमित शाह ने ‘मिशन 150’ का लक्ष्य रखा है। राज्यसभा सांसद बनने के बाद वे उच्च सदन में गुजरात का प्रतिनिधित्व करेंगे। यानी गुजरात के कार्यकर्ताओं से उनका सीधा जुड़ाव रहेगा। पहली बार नरेंद्र मोदी के बिना गुजरात विधानसभा चुनाव में उतर रही भाजपा के लिए अमित शाह काफी अहम साबित होंगे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें गुजरात से राज्यसभा भेजा जा रहा है।
स्मृति ईरानी ने हर मौके पर खुद को साबित किया
दूसरी तरफ, स्मृति ईरानी को भी पार्टी में एक प्रखर वक्ता और तेज-तर्रार नेता के तौर पर जाना जाता है। पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय, फिर कपड़ा मंत्रालय और उसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे अहम विभाग मिलना स्मृति के प्रति केंद्रीय नेतृत्व के विश्वास को दर्शाता है। कई बड़े मुद्दे पर उन्होंने आगे आकर बेहद मजबूती से पार्टी का पक्ष रखा है। एक महिला नेता के तौर पर स्मृति ने पार्टी में खुद को साबित किया है। गुजरात विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका राज्यसभा के लिए चुना जाना पार्टी के काफी सकारात्मक हो सकता है।