लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। कई मायनों में ये चौंकाने वाला नाम है लेकिन बीजेपी का ये कदम 2019 लोकसभा को लेकर लिया गया है। जिससे भाजपा को काफी फायदा होने वाला है।
राजनैतिक विशेषज्ञों के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं जो देश में हर राज्य से बहुत ज्यादा हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने यहाँ से अपना दल के साथ गठबंधन करके 75 सीटें जीती थी। जोकि एक रिकॉर्ड जीत थी।
2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी यही इतिहास दोहराना चाहती हैं। क्योंकि प्रदेश में 21 फीसदी दलित आबादी है। ऐसे में रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाकर दलितों को यह सन्देश दिया गया है कि बीजेपी के लिए मुस्लिम नहीं, बल्कि दलित जरूरी हैं।
बीजेपी को ये अच्छी तरह पता है कि सवर्ण और पिछड़ी जातियों के पास उसको चुनने के सिवाय कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। वही दलित अगर पूरी तरह से उसकी झोली में आ गया तो रास्ता आसान हो जाएगा। यही वजह है कि बीजेपी ने ये दांव चला है, क्योंकि बीजेपी को मालूम है कि मुस्लिम उसके साथ आएगा।
इसके अलावा यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से ही ठाकुर और दलितों में टकराव देखने को मिल रहा है। ऐसे में इस विरोध को रोकने में भी रामनाथ कोविंद की दावेदारी मजबूत भूमिका अदा कर सकती है। यह भी मैसेज दिया गया है कि बीजेपी ही है जो दलितों की हितैषी है।
इसके अलावा बीजेपी का मकसद 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा दलित वोट बैंक बटोरने का है। बीजेपी को यूपी चुनाव 2017 में 40 फीसदी दलित वोट मिला था, जबकि बीएसपी को दलितों के 24 फीसदी वोट ही मिले थे। यही वजह है कि बीजेपी 2019 को फोकस करके चल रही है।