आजमगढ़। इस बार यूपी चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पारिवारिक विवाद और मुलायम सिंह यादव को पद से हटाने के बाद अखिलेश के नेतृत्व में नई सपा मैदान में है। 27 साला यूपी बेहाल का नारा देने के बाद राहुल गांधी चुनाव से ठीक पहले साइकिल पर सवार हो चुके हैं। इसे दो पार्टी नहीं बल्कि दो युवाओं का गठजोड कहा जा रहा है। वहीं बीजेपी ने भासपा सहित अति पिछड़ों में पैठ रखने वाली कई पार्टियों के हाथ मिलाया है तो अंतिम समय में बसपा ने भी उलेमा कौंसिल से गठबंधन कर लिया है। इससे यह साफ है कि यूपी में सरकार चाहे जिसके नेतृत्व में बने लेकिन होगी गठबंधन सरकार लेकिन छह चरण बीत जाने के बाद भी कोई यह विश्वास से कहने की स्थित में नहीं है कि कौन सबसे आगे है।
यहां सभी पार्टियों के साथ एक मिथक भी जुड़ा हुआ है। आजमगढ़ में भाजपा को जबभी सीट मिली वह यूपी की सत्ता में आई है। अतीत पर गौर करें तो वर्ष 1991 में बीजेपी को आजमगढ़ में दो सीट मेहनगर और सरायमीर मिली थी और पार्टी पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई थी। इसके बाद वर्ष 1996 में लालगंज सीट मिली तो पार्टी ने फिर यूपी पर राज किया।
बसपा के साथ भी कुछ ऐसा ही है जब भी वह आजमगढ़ में दूसरों से अधिक सीट जीतने में सफल रही सत्ता में आ गई। यह अलग बात है कि उसे ज्यादातर दूसरी पार्टियों का साथ लेना पड़ा। वर्ष 2007 में बसपा को यहां दस में से छह सीट मिली तो वह पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल रही और चार सीट जीतने के बाद सपा विपक्ष में बैठी।
सपा के लिए आजमगढ़ कुछ ज्यादा ही खास है। कभी चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि बागपत छोड़ सकता हूं लेकिन आजमगढ़ नहीं और अब मुलायम सिह यादव उन्हीं के रास्ते पर चल रहे है। मुलायम हमेशा से कहते रहे हैं कि इटावा अगर दिल है तो आजमगढ़ धड़कन। मुलायम ने जब भी आजमगढ़ से अपने चुनावी अभियान की शुरूआत की उनकी पार्टीं को बेहतर परिणाम मिले हैं। वर्ष 2002 के विधान सभा चुनाव में सपा मुखिया ने आजमगढ़ से चुनाव अभियान की शुरूआत की तो सपा ने 23.06 प्रतिशत वोटों के साथ 143 सीटों पर जीत मिली। वर्ष 2007 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ के आईटीआई मैदान से चुनावी सभा की शुरूआत करना चाहते थे लेकिन बरसात के कारण सभा नहीं हो सकी और तमाम प्रयास के बाद भी सपा को सत्ता नहीं मिली। मायावती ने आजमगढ़ में छह सीट जीता और यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी।
वर्ष 2012 के चुनाव में मुलायम ने आईटीआई मैदान से चुनाव अभियान की शुरूआत की और कहा भी कि यहां से शुरूआत हुई है हम सत्ता में आएंगे। हुआ भी ऐसा सपा दस में से यहां नौ सीट जीती और पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई। वर्ष 2017 के चुनाव अभियान की शुरूआत मुलायम सिंह आईटीआई मैदान से करना चाहते थे लेकिन परिवार में मचे घमासान के कारण वे यहां रैली नहीं कर सके। इस बार मुलायम कुछ एक सीटों को छोड़ दे तो चुनाव प्रचार में भी नहीं उतरे। अब तक जो स्थित सामने आई है सत्ताधारी दल को विपक्ष से कड़ी टक्कर मिल रही है। ऐसे में चर्चा सिर्फ इसी बात की है कि क्या इस बार मिथक टूटेगा या फिर पुराना इतिहास दोहराया जाएगा।