सीतापुर-अनूप पाण्डेय,सुनील वर्मा/NOi-
लखनऊ। पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। यह ग्रहण काफी दुर्लभ है। क्योंकि इसमें चांद के किनारों से नीली रोशनी निकलती दिखाई देगी। पण्डित रमेश
चन्द्र के अनुसार एशिया में इससे पहले 30 दिसंबर, 1982 को नीली रोशनी वाला ऐसा खूबसूरत चंद्र ग्रहण दिखा था।वहीं अमेरिकी में यह खगोल घटना 152 साल बाद होने जा रही है।
पूर्ण चंद्र ग्रहण का सबसे अच्छा दृश्य भारत और ऑस्ट्रेलिया में दिखेगा।
लोग 76 मिनट (शाम 6.21 से 7.37 तक) तक बिना किसी उपकरण के नंगी आंखों से इसे देख सकेंगे।
खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक 27 जुलाई को अगला चंद्र ग्रहण होगा।
लेकिन वह पूर्ण चंद्र ग्रहण और नीली रोशनी वाला नहीं होगा।
यहां दिखेगा पूरा चंद्र ग्रहण
भारत, पूरे उत्तरी अमेरिका, प्रशांत क्षेत्र, पूर्वी एशिया, रूस के पूर्वी भाग, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड
इस बार का पूर्ण चंद्र ग्रहण तीन मायनों में खास है।
पहला सूपरमून की एक शृंखला में यह तीसरा अवसर होगा,
जब चांद धरती के निकटतम होगा।
दूसरा चांद 30 फीसदी ज्यादा चमकीला और 14 प्रतिशत बड़ा दिखाई देगा।
तीसरा इस साल एक जनवरी को भी पूर्णिमा थी।
यानी जनवरी में दो पूर्णिमा हो रही है।
एक माह में दो पूर्णिमा ढाई साल में एक बार होती है।
नासा वैज्ञानिक नोह पेट्रो ने बताया कि इस पूर्ण चंद्र ग्रहण को वैज्ञानिक भाषा में सुपर ब्लड ब्लू मून कहा जाना ठीक नहीं है।
सुपर मून तो एक खगोलशास्त्री ने गढ़ा है।
पर ब्लू मून शब्द सिर्फ लोगों के बीच प्रचलित है।
वहीं ब्लड मून का इस्तेमाल हाल के वर्षों में शुरू हुआ है।
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