बहराइच में एक बार फिर एक तेंदुए ने मासूम को बनाया निवाला………बहराइच :(अब्दुल अजीज)NOI :- जनपदीय वन विभाग की लापरवाही से एक आदमखोर तेंदुए ने एक और मासूम को निवाला बना लिया है।मिली जानकारी के मुताबिक जनपद के थाना रामगांव इलाके के मुकरिया गांव में जंगली तेंदुए ने एक 7 वर्षीय मासूम को रात में सोते समय उठा ले गया और मौत के घाट उतार दिया, सुबह जब परिजनों को मासूम बिस्तर पर नही मिला तो मासूम को ढूँढना शुरू किया गया और अन्त में पास के ही एक बाग़ में मासूम का क्षत विक्षत शव पड़ा पाया गया।इस घटना से क्षेत्र में दहशत फैल गयी और आक्रोशित होकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन शुरू कर नारेबाजी करने लगे।सूचना पाकर मौके पर वन विभाग की टीम सहित पुलिस विभाग के आला अधिकारी व एसडीएम ने पहुच कर ग्रामीणों को शांत करवाया और तेंदुए की तलाश में टीम गठित कर काम्बिंग शुरू कर दी है। फिलहाल अभी तक उस आदमखोर तेंदुए का कुछ पता नहीं चल सका है।
थाना रामगाँव क्षेत्र के मुकरिया गाँव के रहने वाले रमेश अपने बच्चों के साथ रात को अपने घर में सो रहा था कि अचानक एक तेंदुए उसके घर में घुस आया और उसके 7 वर्षीय बेटे अलोक को उठा ले गया।तेंदुआ आलोक को पास के ही एक बाग़ में ले गया और नोच नोच कर खाने के बाद उसके शरीर का बच्चा खुचा हिस्सा छोड़ कर चला गया। सुबह जब मासूम का शव मिला तो देखने वालों के रौंगटे खड़े हो गये।मासूम का सर धड़ से अलग कुछ दूरी पर पड़ा हुआ था जबकि बाकी शरीर में सिर्फ कमर तक का हिस्सा ही उस आदमखोर जानवर ने छोड़ा था।बेटे के शव को देख कर माँ और परिवार के अन्य लोगों का के रो रो कर बुरा हाल हो गया है। वो बार बार अपने बेटे को याद करके आंसू बहा रहे हैं।
वही इस मामले में वन विभाग की घोर लापरवाही उजागर हो रही है।इस सम्बंध में मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि ये आदमखोर तेंदुआ लगभग एक साल से क्षेत्र में आतंक का पर्याय बना हुआ है जिसकी सूचना समय समय पर ग्रामीनों द्वारा शासन और प्रशासन के लोगों को दी जाती रही है।ग्रामीणों ने आगे बताया कि 6 महीना पहले भी ये तेंदुआ एक बच्ची को उठा ले गया था और मौत के घाट उतार दिया था, इसके अलावा कई बार गाय के बछड़ो व कुत्तो को भी निशाना बना चुका है लेकिन बावजूद इसके अभी तक वन विभाग ने कोई भी कार्रवाई नहीं की।यहाँ तक कि जब इसकी शिकायत महसी क्षेत्र के एसडीएम से की गयी तो उन्होंने ये कहकर भगा दिया कि तुम लोग दूर दूर पर घर बना लेते हो हम कहाँ तक तुमको सुरक्षा दे पाएंगे।अब इसको विभागीय लापरवाही कहें या काम करने का वही चिर परिचित अंदाज़ लेकिन एक बात तो सच है कि गलती किसी की भी हो पर उस माँ ने अपने जिगर का टुकड़ा खो दिया जिसके हर्जाना कोई भी नहीं भर सकता।
इस बारे में अपनी लापरवाहियों पर सफाई देते हुए जिले के वनाधिकारी ने बताया कि पिछली बार जब तेंदुआ बच्ची को ले गया था था तब उसकी तलाश की गयी थी लेकिन वो मादा तेंदुए निकली और नाईट विज़न कमरे से पता चला कि उसके दो छोटे बच्चे भी है जिस कारण तलाशी अभियान को वही रोक दिया गया लेकिन अब क्योंकि बच्चे बड़े हो गए है तो हम उसको पकड़ने तक अभियान जारी रखेंगे अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि इस बात को कौन निर्धारित करेगा कि इंसान के बच्चे की ज़्यादा अहमियत है या बाग़ के बच्चे की।