नई दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब बारी रिजल्ट की है। मतदान खत्म होने के बाद आए एग्जिट पोल के नतीजों ने आंकड़े पेश किए हैं उनमें सबसे दिलचस्प आंकड़ा पंजाब का है, जहां पर सभी मान रहे हैं कि आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। कुछ एग्जिट पोल के रिजल्ट राज्य में आप को ही नंबर वन पार्टी का दर्जा दे रहे हैं। एग्जिट पोल के यह आंकड़े अगर जमीन पर पूरी तरह से सही न भी हुए तो भी इतना जरूर होगा कि आम आदमी पार्टी राज्य में अपनी जबरदस्त दस्तक देने वाली है। यही वह वजह है जिसने पंजाब के चुनावी मुकाबले को उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा दिलचस्प बना दिया है।
राष्ट्रीय पार्टियों के लिए बन रही खतरा
दिल्ली में धमाकेदार शुरुआत के बाद सत्ता पर काबिज होने वाली ‘आप’ अब राष्ट्रीय पार्टियों के लिए खतरा बनती जा रही है। आप ने दिल्ली में से न सिर्फ वर्षों तक सत्ता में रही कांग्रेस और भाजपा को साफ कर दिया बल्कि आमजन को एक मजबूत विकल्प भी दिया है। ‘आप’ पहली ऐसी पार्टी है सियासत के मैदान में कुछ वर्षों पहले ही उतरी है इतनी धूम मचाई है। दिल्ली की सत्ता पर ऐसी पार्टी का काबिज होना अपने आप में काफी अहम है। इतना ही नहीं जिस तरह से ‘आप’ दिल्ली से निकलकर दूसरे राज्यों में दस्तक दे रही है, संभव है कि आने वाले कुछ समय में वह राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त कर ले। पंजाब के अलावा इस बार ‘आप’ गोवा के चुनावी मैदान में उतरी है। आने वाले समय में वह खुद को गुजरात समेत राजस्थान में भी आजमाएगी। पंजाब की सफल मुहिम से उसको अन्य जगहों पर पांव फैलाने में मदद भी जरूर मिलेगी।
वादाखिलाफी के आरोपों के बाद भी पंजाब में मिला सपोर्ट
दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के बाद बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली की जनता से वादाखिलाफी करने जैसे कई आरोप लगते आए हैं। इतना ही नहीं लोगों का मानना यह भी रहा है कि वह बेवजह ही केंद्र पर अपनी समस्याओं का ठीकरा फोड़कर अपनी जिम्मेदारियों से बचते आए हैं। इसकी एक वजह केजरीवाल का केंद्र से टकराव रहा है। वहीं केजरीवाल के कई फैसलों पर दिल्ली के एलजी की टेढ़ी नजरें भी इसकी एक वजह रही है। इन सभी के बीच केजरीवाल के विरोधी लगातार इस बात का प्रचार न सिर्फ दिल्ली में बल्कि पंजाब में भी करते आए हैं कि वह दिल्ली में सत्तारूढ़ होते हुए कुछ नहीं कर पाए हैं।
इतना ही नहीं उनके विरोधी लगातार उन्हें भगोड़ा करार देत आए हैं। वहीं दूसरी ओर इन सभी को दरकिनार केजरीवाल पंजाब की जनता के बीच यह साबित कर पाने में सफल हुए हैं कि केंद्र की वजह से वह दिल्ली में काम नहीं कर पा रहे हैं। वह यह भी साबित कर पाने में कामयाब रहे हैं कि उनके किए हर काम को केंद्र पलटता रहा है या फिर उसको ठंडे बस्ते में डालता रहा है। यही वजह है कि पंजाब में ‘आप’ इतनी जोरदार धमक के सियासत में दखल देने के लिए तैयार है।
एनआरआई लोगों की मुहिम ‘चलाे पंजाब’
पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी का समर्थन करने के लिए काफी संख्या में एनआरआई भी वापस भारत आए और उनकी इस मुहिम का हिस्सा बनें हैं। इतना ही नहीं उन्होंने केजरीवाल का अार्थिक तौर पर भी जोरदार समर्थन किया है। इस चुनाव में भारत से दूर खासतौर पर कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका और इंग्लैंड में बसे एनआरआई लोेगों ने ‘चलो पंजाब’ के नाम से एक मुहिम भी चलाई, जो कि पूरी तरह से आप के समर्थन में थी। इसके लिए करीब दस हजार एनआरआई लोगों ने खुद को रजिस्टर्ड करवाया था। इसके अलावा करीब पांच हजार लोगों ने खुद को वॉलेंटियर्स के तौर पर रजिस्टर्ड कराया था।इस चुनाव में इन लोगों ने आप के समर्थन में कई नारे भ्ाी दिए जिसकी गूंज हर जगह सुनाई दी। इसमें ना ‘चित्ता नू ना दारू नू, वोट पाओ झाड़ू नू’ जैसे स्लोगन की काफी धूम देखने को मिली।
‘आप’ एक मजबूत विकल्प
पंजाब में आप को मिल रहा समर्थन सीधेतौर पर इस बात का सबूत है कि वहां की जनता आप को एक मजबूत विकल्प मान रही है। यह इस बात का भी परिचायक है कि यहां की जनता के एक धड़े का भरोसा कांग्रेस या भाजपा से डगमगाने लगा है। वहीं सत्तारूढ़ अकाली-भाजपा सरकार पर लगे आरोपों ने भी ‘आप’ को मिलते भरोसे में इजाफा किया है। गौरतलब है कि सत्तारूढ़ पार्टी पर लगातार राज्य में ड्रग्स के चलन को बढ़ाने का आरोप लगता रहा है। यह भी जगजाहिर है कि सत्तारूढ़ गठबंधन को लेकर पंजाब के लोगों में काफी नाराजगी है।