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Friday, January 17, 2025

आम लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कितना खरा उतरा इस बार का बजट


नई दिल्ली। मोदी सरकार की तरफ से पेश किए गए चौथे बजट से पहले आम जनता कई तरह की उम्मीदें कर रही थी। उसकी कई वजहें हैं। नोटबंदी के बाद बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था की रफ्तार के बाद जो असमंजस की स्थिति बनी है ऐसे में उसे संजीवनी देने के लिए ये बजट तुरूप के पत्ते की तरह काम कर सकता है।

राजनीतिक हलकों में अलग-अलग राय
हालांकि, इस बजट को लेकर सबकी अपनी अलग राय है। राजनीतिक विरोधी जहां इसमें नया कुछ नहीं देख रहे हैं तो सरकार के लोग इसे ऐतिहासिक बजट बता रहे हैं। लेकिन, अब सवाल ये उठता है कि मौजूदा दौर में जो अर्थव्यवस्था की स्थिति बनी है और पहले से ही यह अनुमान लगाया जा रहा है कि देश की रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है ऐसे में यह बजट कितना कारगर होगा।

लोकलुभावन नहीं है बजट!

दरअसल, मूल रूप से इस बजट को देखें तो इसे बहुत ज्यादा लोकलुभावना कहना उचित नहीं होगा। लेकिन, इसमें मध्यम वर्ग से लेकर ग्रामीण इलाकों तक के लोगों का खास ध्यान रखा गया है। सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोग ईमानदारी पूर्वक देश के योगदान में अपना टैक्स दें इसके लिए उन्होंने सबसे पहले मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देते हुए तीन लाख तक की कमाई पर कर मुक्त कर दिया है।

मध्यम वर्ग को बड़ी राहत

उसके बाद की कमाई यानि ढ़ाई से पांच लाख रूपये तक के स्लैब पर पहले से निर्धारित दस फीसदी टैक्स की दर को घटाकर सिर्फ पांच प्रतिशत रखा गया है। जाहिर तौर पर ये वह निर्णय हैं जिसके बाद इस स्लैब में आ रहे लोग को टैक्स देने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। हालांकि, सरकार ने इस क्षति की भरपाई को पचास लाख से एक करोड़ रूपये सालाना कमाई करनेवाले लोगों पर अलग से सरचार्ज लगाकर की है।

ग्रामीण इलाकों पर खास ध्यान

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आम बजट 2017-18 में ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर एक करोड़ सत्तासी लाख दो सौ तेईस करोड़ रूपये का बजट में प्रावधान रखा है। जिसमें दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के लिए दो हजार आठ सौ चौदह करोड़, मनरेगा के लिए अरतालीस सौ करोड़, कृषि ऋण के लिए दस लाख करोड़, फसल बीमा के लिए 9 हजार करोड़ और नाबार्ड के लिए 20 हजार करोड़ लक्ष्य रखा है।

क्या होगा सस्ता और महंगा

हालांकि, ऐसा कहा जा रहा है कि इस बजट के बाद जो चीजों होने जा रही हैं वो है- मोबाइल फोन, पान मसाला, सिगरेट, सिगार, बीड़ी, तंबाकू, एलईडी बल्ब, चांदी का सामान, हार्डवेयर, स्टील का सामान, ड्राय फ्रूट्स, चांदी के गहने, एल्यूमीनियम, पार्सल के जरिए आयातित सामान, वाटर फिल्टर, चमड़े के फूटवियर, विदेश साइकिल आदि।

जबकि, जिन चीजों के लिए लोगों को कम पैसे देने पड़ेंगे वो हैं- पवन चक्की, आरओ, पीओएस, पार्सल, चमड़े का सामान, सौर पैनल, प्राकृतिक गैस, बायोगैस, ऑनलाइन रेल टिकट, सौर ऊर्जा, नमक, जीवन रक्षक दवाईयां, फिंगर प्रिंट मशीन, माइक्रो एटीएम आदि।

शेयर बाजार में सकारात्मक रूख

आर्थिक मामलों के जानकार ये मानते हैं कि यह बजट काफी संतुलित है। इस बजट के बाद शेयर बाजार में भी सुधार देखा गया। हालांकि, सरकार की अगली प्राथमिकता पूरे देश में जीएसटी को लागू कराना है। यह एक बड़ी वजह रही है जिसक चलते सरकार ने सर्विस टैक्स में किसी तरह का कोई बदलाव ना करने का फैसला किया है।

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