नई दिल्ली , एजेंसी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को विधानसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जमकर तारीफ की। कहा, वंदे मातरम में कहां से सांप्रदायिकता आ गई। इसे गाते हुए हजारों क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूल गए। आरएसएस न होता तो विद्यार्थी राष्ट्रगीत की परंपरा भूल चुके होते। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने हिंदू धर्म और आरएसएस के बारे में बातें रखी हैं। हिंदू धर्म ही है जिसमें कहा गया है, सर्वे भवन्तु सुखिन: …।
आरएसएस एकमात्र संगठन है जो सरकार से सहायता नहीं लेता, निस्वार्थ भाव से मातृभूमि की सेवा के लिए काम कर रहा है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी न होते तो कश्मीर में आवाजाही न होती, बंगाल और पंजाब हमारे हाथ से निकल गए होते। शिक्षा के क्षेत्र में आरएसएस का बहुत काम है, बिना सरकारी मदद के 54 हजार शिक्षण संस्थान चल रहे हैं, एक लाख सेवा प्रकल्प काम कर रहे हैं। जिस संगठन का राजनीति से लेना-देना नहीं है, क्यों बार-बार उसका नाम लेते हो
…तो आरएसएस से सभी को मिलेगा एक जैसा भाव
मुख्यमंत्री ने विपक्ष से मुखातिब होकर कहा, राम जन्मभूमि, गौमाता और अन्य राष्ट्रवादी मुद्दों को स्वीकार कर लो, आपको आरएसएस से वैसा ही भाव और आशीर्वाद मिलेगा, जैसा भाजपा को मिलता है।
दलितों को मंदिरों में जाने से रोका तो मैं दिलाऊंगा प्रवेश योगी ने कहा कि प्रदेश में दलितों को मंदिर में जाने से नहीं रोका जाता है लेकिन यदि कहीं रोका गया तो मैं खुद जाकर उन्हें मंदिर में प्रवेश कराऊंगा। हमें डॉ. अंबेडकर ने संविधान दिया है तो महर्षि वाल्मीकि ने रामायण। सहारनपुर की घटना की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जाति के नाम पर किसी को तोड़फोड़ की इजाजत नहीं दी जा सकती। वैमनस्यता, उत्तेजना बढ़ाने वाले बयानों से बचना चाहिए।
बार-बार वॉकआउट किया तो लोग बीमारी समझेंगे
सीएम ने सदन में विपक्ष के हंगामे पर भी टिप्पणी की। कहा, थोड़ा-बहुत विरोध चलता है। बार-बार एक ही बात कहोगे तो लोग समझेंगे कि आदी हो गए हैं। हर घंटे यदि वॉकआउट करोगे तो लोग समझेंगे कि कोई बीमारी है।
मेरी भी परीक्षा होनी है
योगी ने कहा, मेरे लिए सीएम का पद कोई आभूषण नहीं है, बल्कि दायित्व है। मैं परीक्षा देने उतरा हूं। पीएम और पार्टी अध्यक्ष ने जो विश्वास किया है, उस पर खरा उतरना है। प्रदेश हित में जो भी जरूरी होगा, किया जाएगा।