नई दिल्ली । कृषि ऋण माफी जैसे कदमों पर सवाल उठा रहे आरबीआइ गर्वनर उर्जित पटेल को भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त ने प्रशासनिक संवेदनशीलता की सीख दी है। ऋण अदायगी में किसानों की ईमानदारी का रिकार्ड देखने की सलाह देते हुए मस्त ने कहा कि शासन केवल बैलेंस शीट से नहीं समाज की आपात जरूरतों के प्रति संवेदनशील कर्तव्य निर्वहण से चलता है।
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के लघु और सीमांत किसानों के एक लाख तक की फसली ऋण माफ कर दी है। इसकी कुल राशि 36 हजार करोड रुपये से अधिक है। जबकि गुरुवार को पटेल ने ऋण माफी को करदाताओं के लिहाज से भी गलत बताया और सलाह दी थी कि ऐसे कदमों से बचना चाहिए। भाजपा सांसद मस्त ने प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि ऋण माफी नियम नहीं बन सकता है। लेकिन आपात स्थिति में इसके अलावा कोई चारा नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हर राज्य को जरूरत और स्थिति के अनुसार ऐसे कदम उठाने चाहिए। उन्होंने बताया कि यह अपील भाजपा शासित राज्यों से भी है तो दूसरी प्रदेश सरकारों से भी।
कांग्रेस काल में माफ किए 60 हजार करोड़ रुपये के ऋण से इसे अलग बताते हुए मस्त से कहा कि उस वक्त उन ईमानदार किसानों को बाहर रखा गया था जो ऋण की किस्त चुका रहे थे। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने उन्हें भी लाभ दिया है।