दीपक ठाकुर:NOI।
केंद्र की मोदी सरकार ने इस बार जो बजट पेश किया उसे देख कर हर वर्ग खुशी से झूम उठा। इस बजट में गरीबो,किसानों,महिलाओ के साथ साथ मिडिल क्लास के कर दाताओं को भी काफी राहत दी गई है,व्यापार जगत भी इस बजट से खासा उत्साहित दिखाई दे रहा है इस बार वाकई ये लगा कि इस सरकार ने अपना वादा पूरा करने की दिशा में एक सार्थक कदम उठाया है।
चुनावी रण में कूदने से ठीक पहले ऐसा बजट पेश करना विरोधियों को सरकार की एक चाल से बढ़कर कुछ नज़र नही आ रहा बसपा सुप्रीमो ने तो जनता से अपील तक कर डाली के वो किसी झांसे में ना आएं और देश हित को देखते हुए अपना वोट दे उनका कहना था कि ये बजट भी किसी जुमले से कम नही।
यहां विरोधियों का बजट पर संदेह करना और सवाल करना वाजिब भी है क्योंकि उनका काम ही होता सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया देना लेकिन सवाल जनता के मन मे भी है के सरकार ने जनता के हित को पहले सर्वोपरी क्यों नही माना जेटली साहब के पिटारे से क्यों नही निकलवाया ऐसा बजट क्या सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि अगली बार भी मोदी सरकार ही आएगी अगर ऐसा था तो ये बजट क्या उसकी भरपाई है या सरकार को ये महसूस होने लगा कि उसकी कुर्सी सुरक्षित नही इसलिए ये दांव खेला जाए।
बात चाहे जो हो पर फिलहाल देशवासी खुश है कि क्योंकि ये बजट खुशियों वाला ही है देश की जनता को मोदी सरकार से ऐसी ही उम्मीदें भी है वो चाहती है देश आगे बढ़े लेकिन उसके ऊपर बोझ ना पड़े और ये बजट बोझ कम करने वाला ही प्रतीत हो रहा है जिससे विरोधी सकते में भी हैं।