इंदौर. पति ने अपनी गर्भवती पत्नी को मार कर उसे सेना की पेटी में डालकर क्षिप्रा नदी में फेंकी थी। 25 माह बाद टीना हत्याकांड का फैसला हुआ। कोर्ट ने आरोपी पति विजेश यादव (पूर्व सैनिक) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनने के बाद आरोपी ने अपना सिर झुका लिया।
यह था मामला
उज्जैन की शिप्रा नदी में (पानी उतरने के बाद) 30 मार्च 2015 को सेना की काले रंग की पेटी में सीमेंट कांक्रीट के घोल में सनी महिला की लाश मिली थी। भोपाल में हुए पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि महिला को छह माह गर्भ से थी। जब शव की पहचान की की जा रही थी, इसी बीच पता चला कि आठ मार्च को सांवेर थाने में बरियाबावड़ी के पीरूलाल ने बेटी टीना की गुमशुदगी दर्ज कराई है। शव को परिवार को दिखाया गया। छह साल की बेटी ने पेटी को पहचान लिया था कि ये उसके पापा की पेटी है। फिर सैनिक को गिरफ्तार किया था। नानाखेड़ा थाना क्षेत्र के आलमपुर उड़ाना गांव में पुलिस ने शव की शिनाख्त के लिए पीरूलाल, मां श्यामा बाई और बहन गीता को बुलाया। बहन और मां ने कपड़े व बिछिया व अंगूठी देखकर शव की पहचान की थी।
डीएनए सेजांच से हुई थी पुष्टि
टीआई ने बताया परिजनों ने शव की पहचान टीना के रूप में की थी लेकिन पुष्टि के लिए डीएनए कराया जाना जरूरी था। इसलिए माता-पिता और टीना के डीएनए की जांच कराई। रिपोर्ट पॉजीटिव आने से यह साफ हो गया कि शव टीना का ही है। उसकी शादी मुकाता के विक्रम सिंह यादव के बेटे सेना के जवान विजेश से हुई थी। विजेश के बारे में पुलिस को पता चला कि वह जम्मू में पदस्थ है। पुलिस ने उसके भाई राहुल और पिता विक्रम को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उन्होंने बता दिया कि टीना की हत्या विजेश ने की है।
चरित्र पर शक की वजह से मार डाला
पुलिस ने जब विजेश को भटिंडा में आर्मी कैंप से सितंबर 2015 में गिरफ्तार किया, तो उसने पुलिस को बताया जब मार्च में घर आया तो टीना को गर्भवती देख उसका दिमाग खराब हो गया। उसने बताया वार्षिक छुट्टी के बाद आठ मार्च को उसे जम्मू-कश्मीर वापस लौटना था। शाम को हजरत निजामुद्दीन ट्रेन से उसका रिजर्वेशन था। सुबह वह किसी काम से घर से बाहर निकला था, लौटा तो उसने टीना को जीजा के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। उसे बहुत तेज गुस्सा आया तो उसने गुस्से में आकर टीना का गला घोंट दिया जिससे उसकी मौत हो गई। उसने बताया कि उसने अपनी पत्नी के ऐसी हरकतों के बारे में पता था। कई बार समझाया भी था सही करने के लिए उसने उसके माता पिता को भी बता दिया था, फिर भी वो नहीं मान रही थी।
पेटी में सीमेंट कंक्रीट का घोल डाल दिया
टीना की मौत के बाद उसने सेना की पेटी में टीना के शव को रखा और सीमेंट कंक्रीट का घोल बनाकर भर दिया ताकि पानी में पेटी डूबी रहे और किसी को पता न चले। विजेश ने आठ मार्च को उज्जैन रेलवे स्टेशन आने के लिए गांव से एक गाड़ी किराए पर ली। उसमें पेटी लादी। आलमपुर उड़ाना पहुंचने पर पेटी को नदी में फेंक दिया। वहां से वह गाड़ी लेकर स्टेशन पहुंचा और भाई राहुल को बुलाकर गाड़ी दे दी। उसके बाद विजेश जम्मू के लिए रवाना हो गया। पत्नी की गुमशुदगी के बारे में इंदौर कलेक्टर को चि_ी भी लिखी थीं। गुनाह छिपाने के लिए पत्नी की गुमशुदगी के बारे में इंदौर कलेक्टर को पत्र में लिखा था कि आठ मार्च को ट्रेन में उसे बैठाने के लिए टीना भी रेलवे स्टेशन आई थी, जहां से उसे मायके (बरियाबावड़ी) जाना था, लेकिन वह न तो मायके पहुंची और न ही मुकाता स्थित ससुराल। जम्मू में वह आतंकवादी क्षेत्र में पदस्थ है। पत्नी की गुमशुदगी को लेकर वह परेशान है। पत्र में पत्नी की तलाश कराने की मांग की थी।