उत्तर प्रदेश के इटावा जिले मे विकास खण्ड बसरेहर क्षेत्र के खड़ेता गांव मे एक प्राथमिक विद्यालय टापू मे तब्दील हो गया।
क्या विद्यार्थी और क्या शिक्षक सब प्रकृति की बारिश और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के शिकार थे।जब मामला अधिकारियों के पास पहुंचा तो सब बारिश का रोना रोने लगे।बारिश पर किसी का जोर नही लेकिन क्या प्रशासन की बदइंतजामी पर उनसे सवाल पूछना जायज नही है ?क्या प्राथमिक विद्यालय के आस पास सड़क बनाना सरकार का काम नही है ?
इसी घटना के साथ ही प्रकृति के अविश्वास प्रस्ताव पर योगी आदित्यनाथ की सरकार लाचार नजर आ रही है।
घर बनाना,सफाई करना,पेट भरना यह लोगों का काम,लेकिन प्राथमिक विद्यालय के आस पास सड़क का निर्माण और बुनियादी ढांचों को बनाना तो सरकार का काम है,क्या यह काम भी सरकार लोगों पर छोड़ देगी।योगी आदित्यनाथ की सरकार एक तरफ बेरोजगारी मिटाने की बात करती, लेकिन ऐसे शिक्षातन्त्र मे जहा विद्यार्थी थोड़ी सी बरसात और प्रशासन की बदइंतजामी के चलते स्कूल भी न जा पाये,ऐसे मे बेरोजगारी मिटाना और साक्षरता बढ़ाना असम्भव ही नजर आता है।
जब इस मामले की सूचना शिक्षा विभाग और जिले के आला अधिकारिओ को दी गयी,तो इस मामले पर उन्होंने मौन धारण कर लिया है।ऐसा लगता है मानो कि वो प्रदेश सरकार की नीतियों को पानी मे बर्बाद करने पर आमदा हो।प्राथमिक विद्यालय के आस पास पक्की सड़क न होने के कारण,अभिभावाक अपने बच्चो को कंधे पर ले जाने के लिए मजबूर है