भृष्ट अधिकारियो के चलते खुद अपना विकास नही कर पा रहा है।कुछ ही देर की बारिश के चलते है,विकास भवन के परिसर मे घुटनो तक पानी भर गया,व जिले के विकास का केंद्र एक टापू मे तब्दील हो गया।पूरे शहर का विकास करने वाला विकास भवन थोड़ी सी वारिश के चलते अपनी बदहाली का रोना रो रहा है।हर साल मानसून आता है,हर साल बारिश होती है और हर साल जिले के भृष्ट अधिकारी अपनी जेबगर्मी के चलते,लोगों की समस्याओ की उपेक्षा कर देते है।बारिश बंद होने के बाद,लोगों के विकास भवन मे सैकड़ो काम अटके हुए है,लेकिन पानी भरने के कारण उनकी समस्याओ का निस्तारण नही हो पा रहा है,सवाल यह उठता है कि बारिश बन्द होने के दो दिन बाद जिस पानी को निकाल देना चाहिए,लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ रख कर पैसे की कमी का रोना रो रहा है।लेकिन ये सब जानते है कि समस्या पैसो की नही है,पैसे तो आते है लेकिन जाते है भृष्ट अधिकारियो की जेब में, और वे अधिकारी सब भगवान भरोसे छोड़ देते है