गर्मियों में घूमने के दो मौके होते हैं, एक – बच्चों का फाइनल एक्जाम हो जाने के बाद और दूसरा मई-जून में मिलने वाली गर्मी छुट्टी में. गर्मी के मौसम में अक्सर लोग घूमने जाते हैं. अगर आप का भी मन ऐसा है तो सोचें और फिर आगे क्लिक करें. अगर आपके बच्चों के फाइनल एक्जाम हो गये हैं और अभी क्लास नहीं शुरू हुआ है तो बेतला की सैर की सोच सकते हैं, नहीं तो इन खूबसूरत तसवीरों को देख कर डेढ़-दो महीने और इंतजार करें और फिर गर्मी छुट्टी में जायें.
झारखंड के पलामू जिले में बेतला एनएच-9 पर स्थित है. मेदिनीनगर से 25 किलोमीटर, रांची से 170 किलोमीटर व पटना से 250 किलोमीटर दूर है. इसका नजदीक रेलवे स्टेशन बरवाडीह है, जो 15 किलोमीटर की दूरी पर है.
मेदिनीनगर-रांची मार्ग एनएच-75 पर स्थित दुबियाखांड़ से बेतला जाया जा सकता है. ट्रेन से आने पर बरवाडीह से बेतला आया जा सकता है. वैसे नेतरहाट से भी कई सैलानी सीधे बेतला आते हैं.
बेतला के जंगल में खूबसूरत पलाश का फूल मन मोह लेगा. पलाश झारखंड का राजकीय फूल भी है. झारखंड के जनजीवन में इसका खास महत्व है. बेतला के जंगल में आपको हाथियों के झुंड भी दिख जायेंगे. बेतला के जंगल में आपको बंदर भी दिखेंगे. देखिए, मनुष्य के द्वारा छोड़े गये कचरे में खुद के लिए कुछ तलाशते बंदरों को. पर, आज जाइएगा तो यूं कचरा मत छोड़ आइएगा.
बेतला पार्क घूमने के लिए कार, जीप , बोलेरो, सूमो उपलब्ध है. इसके लिए इंट्री फीस 150 रुपये देना होता है. जबकि निजी बस की सेवा वन विभाग द्वारा शुरू की गयी है. फिलहाल प्रत्येक रविवार को इसकी सेवा उपलब्ध है. बेतला में ठहरने की उचित व्यवस्था है. वन विभाग के विश्रामागार, ट्री हाउस के अलावा , पर्यटन विभाग के वन विहार व निजी होटल देवजानी है. वैसे कई सैलानी मेदिनीनगर जाकर भी वहां के होटलों में ठहरते हैं.
यही कारण है कि भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा विदेशों के भी सैलानी यहां आते हैं, जिनमें स्वीडेन, आस्ट्रेलिया, इटली, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड, यूएसए, फ्रांस, जर्मनी आदि के नाम शामिल हैं. बेतला नेशनल पार्क का गठन टाइगर प्रोजेक्ट के गठन के बाद हुआ. वैसे ब्रिटिश शासन में भी यह इलाका पर्यटन के लिए प्रसिद्ध था.