इलाहाबाद : वह दर्द से कराहती रहीं। मदद के लिए सबसे गुहार की, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। दवा की जगह सिर्फ दुत्कार मिली। जान बचाने के लिए घरवाले बाहर से दवा लाने लगे। सारी पूंजी इसी में खत्म हो गई, हजारों रुपये का कर्ज भी चढ़ गया। डॉक्टरों की दुत्कार व जलालत झेलते हुए वह इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा हो गई। पति भी अस्पताल में पड़ा जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। यह हाल मंडल के सबसे बड़े अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय का है। जहां मरीजों को हर सुविधा देने का दावा किया जाता है, परंतु हकीकत उससे परे है। अस्पताल के बर्न वार्ड में नगर निगम के सफाई कर्मचारी भोंदूराम (47) व उनकी पत्नी मीना देवी (45) को भर्ती कराया गया। इलाज के अभाव में मीना देवी की शुक्रवार की सुबह मौत हो गई।
तेलियरगंज स्थित कांशीराम आवास योजना में नगर निगम के सफाई कर्मचारी भोंदूराम रहते हैं। बीते 31 मार्च को उनकी पत्नी मीना देवी स्टोव पर खाना बना रही थीं। अचानक आग ने साड़ी पकड़ ली, देखते ही देखते वह जलने लगीं। उन्हें बचाने के लिए गए भोंदू आगे बढ़े लेकिन वह भी जलने लगे। दोनों को एसआरएन अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया। भोंदूराम के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। बीपीएल कार्डधारक होने के बावजूद उसे रुई, सिरिंज व दवा सब बाहर से मंगाना पड़ा। इससे हजारों रुपये का कर्ज चढ़ गया है। बीच में दवा के लिए पैसा खत्म हो गया तो दवा नहीं मंगा सके। वहीं अस्पताल प्रशासन ने पूरे मामले से अनभिज्ञता जताई है