कानपुर. उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के आखिरी चरण का मतदान बुधवार की शाम को संपन्न हो गया। सूबे में तीन चरणों में कुल 53 फीसदी वोट पड़े। जिसके बाद अब निर्वाचन अधिकारी मतगणना की तैयारी में लग गए हैं, वहीं राजनीतिक दल के नेता हार-जीत के बारे में अपने-अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर मंथन कर रहे हैं। कानपुर में 22 नवंबर को मेयर समेत 110 पार्षदों के लिए 9 लाख 44 हजार मतदाताओं ने वोट की चोट कर अपना जनप्रतिनिधि चुन लिया। जिसका खुलासा एक दिसंबर को हो जाएगा। पर पत्रिका की टीम ने शहर के अधिकतर वार्डो में जाकर जमीनी हकीकत परखी तो नोटबंदी, जीएसटी और बेराजगारी से इतर आज भी लोग पीएम मोदी और सीएम योगी के साथ ज्यादा संख्या में खड़े नजर आए। बृजेंद्र स्वरूप पार्क में बुजर्गों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि वैसे हमारे शहर को साढ़े तीन साल की भाजपा सरकार से कुछ नहीं मिला, लेकिन ऑप्शन नहीं होने के चलते मजबूरी में कमल का बटन दबाया है।
दो बार से भाजपा का मेयर
पिछले दो नगर निकाय चुनाव में भाजपा का मेयर यहां से जीता। लेकिन 2017 का चुनाव कांग्रेस की प्रत्याशी वंदना मिश्रा के आने से बड़ा रोचक हो गया। क्योंकि सपा और बसपा ने इस बार दमदार प्रत्याशी चुनाव के मैदान में नहीं उतारे और पूरा चुनाव भाजपा व कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा। मुस्लिम समाज का अच्छा खासा वोट पंजे के पक्ष में गया तो करीब छह लाख ब्राह्मण मतदाता बड़ी तादाद में कमल के साथ दिखे। आजाद नगर निवासी प्रमोद कुमार पांडेय कहते हैं कि लोग मेयर की सीट पर बदलाव चाहते थे, लेकिन सपा व बसपा की तरफ से मजबूत प्रत्याशी नहीं होने के चलते जंग दो दलों में बंट गई और इसका सीधा फाएदा भाजपा को मिला। लोगों ने जब देखा की एक तबगा कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर रहा है तो भाजपा से नाराज मतदाता आखिरी वक्त में कमल की तरफ बढ़ गया।
वोट प्रतिशत में हो सकती है कमी
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में यह पहला चुनाव है। ऐसे में इनकी अहमियत और भी बढ़ जाती है। कानपुर के लोगों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के वक्त भाजपा को अच्छा वोट मिला था। लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के चलते भाजपा के वोट प्रतिशत में थोड़ी कमी जरूर आएगी। नौबस्ता निवासी राजन चौहान कहते हैं कि शहर के मुकाबले भाजपा की स्थित साउथ में अच्छी रही है। विधानसभा चुनाव में भाजपा शहर की कैंट, सीसामऊ और आर्यनगर सीट हार गई थी, वहीं साउथ से गोविंद नगर, किदवई नगर, महाराजपुर, कल्याणपुर में कमल खिला था। कांग्रेस प्रत्याशी शहर में भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही हैं, लेकिन साउथ में पंजे के मुकाबले कमल काफी आगे होगा। कानपुर में वोट प्रतिशत की बात की जाए तो भाजपा को करीब 33 से 34 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है।
40 से 45 पार्षदों के जीतने की उम्मीद
कानपुर नगर में 110 पार्षद पद हैं। 2012 में भाजपा के 27 पार्षद चुनाव जीते थे। इस बार भाजपा ने 109 प्रत्याशियों को चुनाव के मैदान में उतारा है। मतदान के बाद जब इस मामले पर मतदाताओं से राय ली गई तो भाजपा के लिए खबर राहत भरी हो सकती है। शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में साइकिल और पंजा दौड़ा तो 40 से 45 वार्डों में कमल दौड़ा। विष्णुपुरी निवासी विप्लव मल्लाह ने बताया कि पप्पू पांडेय 2012 का चुनाव निर्दलीय लड़े और जीते। इसबार 2017 में भाजपा ने उन्हें टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारा। पप्पू पांडेय सौ फीसदी तीसरी बार पार्षद बन सकते हैं। वहीं नवाबगंज पार्षद का चुनाव कांटे भरा है। यहां पर निर्दलीय और सपा की नेहा यादव के बीच मुकाबला है। विशाल गुप्ता कहते हैं कि बिलाल अहमद ने पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था और उन्हें जनता ने नकार दिया, लेकिन इस बार वे जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं।