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Wednesday, January 15, 2025

उच्च न्यायालय ने सीएनजी की कमी के मामले में केंद्र, राज्य, जीजीएल और गेल से सीएनजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा क्योंकि यह जनता की आवश्यकता है।

लखनऊ, न्यूज़ वन इंडिया। उच्च न्यायालय ने यूनियन ऑफ इंडिया, राज्य सरकार, जीजीएल और गेल के परामर्शदाताओं को 10 दिनों के समक्ष स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया तथा इस मामले की कार्यवाही की अगली तारीख 17 अगस्त, 2017 निर्धारित की गई। · केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जीजीएल का ढीलापन इस स्तर पर पहुँच गया है कि सीएनजी की कमी बहुत ही खतरनाक स्थिति में पहुँच गई है। · यदि और नए सीएनजी पंप नहीं खुलते हैं तो इससे सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था चरमरा जाएगी

लखनऊ 5 अगस्त 2017: श्री प्रशांत कुमार, एडवोकेट, उच्च न्यायालय, लखनऊ के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते और आज की वर्तमान स्थिति से विछुब्ध होकर माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में 1 अगस्त, 2017 को एक जनहित याचिका दायर की जिसकी डबल्यूपीआईएल संख्या 17424 है। कथित जनहित याचिका को 3 अगस्त, 2017 को माननीय न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और माननीय न्यायमूर्ति दया शंकर त्रिपाठी की डिवीजन बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। इसकी सुनवाई में प्रशांत कुमार, एडवोकेट, उच्च न्यायालय ने नागरिकों द्वारा सामना की जा रही सीएनजी की कमी संबंधी स्थिति से माननीय उच्च न्यायालय को अवगत कराया जिन्हें सीएनजी लेने के लिए 4-5 घंटे तक लाइन में इंतजार करना पड़ता है और माननीय उच्च न्यायालय से दो बंद किए गए सीएनजी स्टेशनों को चालू करने का अनुरोध किया ताकि वर्तमान स्थिति को संभाला जा सके और उन्होंने जल्द से जल्द नए सीएनजी स्टेशन खोलने का निवेदन किया ताकि सीएनजी की उपलब्धता में सुधार किया जा सके। माननीय उच्च न्यायालय ने प्रशांत कुमार, एडवोकेट, उच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए मामले को गंभीरता से लिया और व्यक्त किया की याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मामले पर उत्तरदाताओं द्वारा गंभीर विचार किया जाना जरूरी है और इसे उचित रूप और ढांचे के संबंध में उनके द्वारा इसे संबोधित किया जाना जरूरी है। माननीय उच्च न्यायालय ने आगे उत्तरदाताओं अर्थात यूनियन ऑफ इंडिया, राज्य सरकार, जीजीएल और गेल के परामर्शदाताओं को 10 दिनों के भीतर अपने संबन्धित क्लाइंट से निर्देश प्राप्त करने और उच्च न्यायालय के समक्ष स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया तथा इस मामले की कार्यवाही की अगली तारीख 17 अगस्त, 2017 निर्धारित की गई।

प्रशांत कुमार, एडवोकेट, उच्च न्यायालय ने बताया कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जीजीएल का ढीलापन इस स्तर पर पहुँच गया है कि सीएनजी की कमी बहुत ही खतरनाक स्थिति में पहुँच गई है। इसके अतिरिक्त, लखनऊ में 12 सीएनजी स्टेशन में से दो स्टेशनों में धोखाधड़ी पाई गई और राज्य सरकार ने उसे बंद कर दिया है। इससे सीएनजी की कमी की स्थिति और खराब हो गई है। वर्तमान में, निजी कार वाहनों को सीएनजी प्राप्त करने के लिए 1-2 घंटे तक लाइन में इंतजार करना पड़ता है और सार्वजनिक परिवहन की वाहनों के लिए यह स्थिति और भी खराब है और कभी-कभी उन्हें सीएनजी प्राप्त करने के लिए 6-7 घंटे तक लाइन में इंतजार करना पड़ता है। इस दुखद स्थिति से प्रभावित होकर स्कूल बस और वैन मालिक 28-29 जुलाई, 2017 को हड़ताल पर चले गए थे, जिसके कारण अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने और स्कूल से लाने में बहुत ही मुसीबत का सामना करना पड़ा था। उन्होने आगे कहा कि सीएनजी स्वच्छ ईंधन होते हुए लागत कुशल भी है तथा डीजल और पेट्रोल की अपेक्षा काफी सस्ती है लेकिन सीएनजी डिस्पेंसिंग यूनिट की कमी और सीएनजी लेने के लिए लंबी लाइन लगने के कारण नागरिक डीजल और पेट्रोल वाहनों का प्रयोग करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। यदि लखनऊ में पर्याप्त संख्या में सीएनजी पंप हो जाएँ तो सीएनजी प्रणोदक वाहनों के मालिक बिना किसी परेशानी के सीएनजी प्राप्त करने में सक्षम होंगे और आम जनता भी सीएनजी वाहन खरीदने के लिए आकर्षित होगी जो बहुत ही ज्यादा लागत कुशल विकल्प है और यह पर्यावरण को स्वच्छ बनाते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का सही कार्यान्वयन होगा। हालांकि, यदि ऐसा नहीं होता है और नए सीएनजी पंप नहीं खुलते हैं तो इससे सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था चरमरा जाएगी और 28-29 जुलाई, 2017 को स्कूल वैन और बस मालिकों की हड़ताल इसका ताजा उदाहरण है।

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