नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के रवैये से नाराज हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने जहां एक ओर मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को अवमानना नोटिस जारी किया है। वहीं सात अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अवमानना मामले में तलब किया है। इतना ही नहीं छह अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें कस्टडी में अदालत में पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।
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पीठ ने प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को निर्देश दिए हैं कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डीके श्रीवास्तव की सेवा पुस्तिका में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करें। न्यायमूर्ति डॉ. सतीश चंद्रा ने समेकित बाल विकास योजना से संबंधित नियमावली पीठ के आदेश के बावजूद भी तय समय में न बनाने के मामले में मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी किया है। उच्च न्यायालय की दूसरी खंड पीठ के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने भिन्न- भिन्न समय पर तैनात रहे अनेक विभागों के प्रमुख सचिवों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया है कि उनकी गिरफ्तारी कराकर अदालत में उपस्थित कराना सुनिश्चित करें। प्रमुख सचिवों में रवीन्द्र सिंह, अवनीश कुमार अवस्थी शामिल हैं तथा साथ ही पीठ ने आइएएस, निदेशक पंचायती राज सौरभ बाबू, सचिव इंटरमीडिएट शिक्षा जितेन्द्र कुमार, यूपी कोऑपरेटिव फेडरेशन के प्रबंध निदेशक सुभाष चंद्र शर्मा, नार्थ मेंटीनेंस टेलीफोन के महाप्रबंधक एके टंडन, लोकनिर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ यूके सिंह, बीएसए लखीमपुर को अवमानना मामलों में तलब किया है।
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इसके अलावा पीठ ने बहराइच के डीआइजी कार्मिक कवीन्द्र प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक बीके यादव, निदेशक उद्यान दिनेश चन्द्र, आइजी रजिस्ट्रेशन आलोक कुमार, गोंडा के जिला विद्यालय निरीक्षक शिवलाल के खिलाफ गिरफ्तारी आदेश जारी कर सुनवाई के समय अदालत में उपस्थित कराने के आदेश दिए हैं।
यूपी के हलफनामे से संतुष्ट नहीं कोर्ट
अलीगढ़ में प्रदर्शन कर रही 65 साल की वृद्धा की पिटाई मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार की ओर से पेश किए गए जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा। कोर्ट ने पुलिस कार्यप्रणाली पर एक बार फिर से सख्त टिप्पणी की। मासूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ में पुलिस द्वारा वृद्धा की पिटाई किए जाने पर यूपी सरकार से जवाब मांगा था।
आइएएस प्रदीप शुक्ला समेत तीन गए जेल
पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के एनआरएचएम [नेशनल रूरल हेल्थ मिशन] घोटाले के आरोपी चर्चित वरिष्ठ आइएएस अधिकारी व स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव प्रदीप शुक्ला व यूपीपीसीएल [उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड] के पूर्व एमडी देवेंद्र मोहन व पूर्व महाप्रबंधक रविंद्र राय की जमानत अर्जी सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एस लाल ने खारिज कर दी। तीनों कई दिनों से अंतरिम जमानत पर चल रहे थे। उन्हें 23 मई तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
गुरुवार को तीनों आरोपी अदालत में पेश हुए और उनकी नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक वीके शर्मा ने कहा कि यह योजना आम आदमी की भलाई के लिए बनाई गई थी। इन लोगों ने वरिष्ठ प्रशासनिक पदों का दुरुपयोग कर घोटाले को अंजाम दिया है। यदि इस तरह के अधिकारी जेल न गए तो समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा। इन लोगों के खिलाफ सीधे करीब सवा करोड़ रुपये के घपले के पुख्ता साक्ष्य हैं। मालूम हो कि प्रदीप शुक्ला इसके पहले भी इस मामले में जेल जा चुके हैं।