नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (BJP) उत्तर प्रदेश में अपना 14 साल पुराना वनवास खत्म करके फिर से सत्ता में आना चाहती है लेकिन उसके लिए यह इतना भी आसान नहीं होने वाला।
खबर के मुताबिक, यूपी में भाजपा के साथ बड़ी परेशानी यह है कि उनके पास सही कैंडिडेट नहीं हैं। यूपी चुनाव में पार्टी की गतिविधियों पर नजर रख रहे एक सीनियर नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से लगभग 150 सीटें ऐसी हैं जिनके लिए हमारे पास सही उम्मीदवार नहीं है। इस बात को पार्टी के दिग्गज नेता अच्छे से समझते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पार्टी दूसरी पार्टी के पहले से सेट नेताओं को अपनी पार्टी में लाकर टिकट भी दे रही है। लगभग 50 ऐसे लोगों को पार्टी में लाया भी जा चुका है।
हालांकि, पार्टी के शीर्ष नेताओं की वजह से समर्थकों में गुस्सा भी है। यूपी में की जगहों से प्रदर्शन की खबरें भी आई हैं। इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जो पार्टी में काफी वक्त से हैं और टिकट के लिए मेहनत कर रहे थे लेकिन उन्हें किनारे करके किसी आउट साइडर को टिकट दे दिया गया।
क्या है वजह
भाजपा को समझ आ गया है कि यूपी में जीत के लिए उसे सपा और बसपा के वोटबैंक पर डांका डालना होगा। इसके लिए पार्टी ने दलितों और यादवों को जोड़ने का सोचा है। 2014 में भाजपा ने 80 में से 71 सीटें जीती थीं। इन सीटों पर जीत के लिए उसे यादव, OBC, अति पिछड़ी जाति का भी वोट मिला था। उन लोगों को पार्टी के साथ बनाए रखने के लिए पार्टी को कम से कम 40 प्रतिशत उन जाति के उम्मीदवार उतारने होंगे। यूपी में सात चरणों के लिए 11 फरवरी को चुनाव होने हैं। चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे।