नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक कड़ा निर्णय लेते हुए बुधवार को राज्य के 46 मदरसों को मिल रहे अनुदान पर रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि ये सभी मदरसे अपने मानकों पर खड़े नहीं उतर रहे थे।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी के अनुसार, यह कार्रवाई एक जांच के बाद की गई है, जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि मदरसें अपने लिए निर्धारित मानदंडों के भीतर कार्य नहीं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले अखिलेश सरकार ने भी अल्पसंख्य विभाग द्वारा अनुदान के लिए भेजे जाने वाले 46 मदरसों की लिस्ट पर रोक लगा दी थी। मौजूदा शिकायत में आरोप लगा कि मदरसों में सैलरी कम दी जाती हैं, लेकिन हस्ताक्षर ज्यादा पर करवाए जाते हैं।
जिन मदरसों पर अनुदान की रोक लगी है, उसमें फैजाबाद, कानपुर, कन्नौज, कुशीनगर, आजमगढ़, वाराणसी, झांसी, जौनपुर और मऊ के मदरसे शामिल है। शिकायत में आरोप यह भी लगा कि मदरसे की पढ़ाई- लिखाई सिर्फ कागजों पर ही दिखाई जाती है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार 560 मदरसों को अनुदान राशि देती है, जिसमें शिक्षकों की सैलरी और रख रखाव का खर्च भी शामिल होता है। जांच के लिए जिलाधिकारी, डीआईओएस और जिला अल्पसंख्यक कल्याण की संयुक्त कमेटी बनाई गई थी।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने जिलाधिकारियों, स्कूलों और अल्पसंख्यक कल्याणकारी अधिकारियों के समिति से पूछा है कि वह बताए कि अनुदान राशि का कहां उपयोग किया गया है।
अधिकारी ने कहा कि जिला स्तर समितियों द्वारा दो महीने की जांच के बाद 46 मदरसों की अनुदान राशि के साथ ही शिक्षकों का वेतन भी रोक दिया गया है।