नई दिल्ली: उरी में आर्मी ब्रिगेड पर आतंकवादी हमले की जांच कर रही नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) जैश-ए-मुहम्मद के उन चार आतंकवादियों के सैंपल्स और उनसे मिली चीजों पर डीएनए टेस्ट करने की योजना बना रही है, जिन्हें हमले वाली जगह के पास सोमवार को दफनाया गया था।
– एनआईए ने सोमवार को हमले के मामले में एफआईआर दर्ज की थी। एनआईए ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान में डीएनए सैंपल्स अहम साबित होंगे और पठानकोट में एयरबेस पर आतंकवादी हमले के मामले की तरह जांच रिपोर्ट से पाकिस्तान पर दबाव डाला जा सकेगा।
– अधिकारियों के मुताबिक, मारे गए चारों आतंकवादियों के फोटो जैश के उन लोगों को दिखाए जाएंगे, जो भारत की जेलों में हैं। इस तरह आतंकवादियों की पहचान में आसानी होगी। एनआईए के अधिकारी इन आतंकवादियों और उनके हैंडलर्स के बीच हमले के पहले हुई बातचीत की जांच भी करेंगे। इस बातचीत के इंटरसेप्ट्स से संकेत मिला है कि ये जैश-ए-मुहम्मद के लोग थे। इन आतंकवादियों से गोला-बारूद और हथियारों के अलावा दो मोबाइल सेट और दो जीपीएस डिवाइस भी मिली हैं। इनसे जांच एजेंसी को उस रास्ते का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जिससे होकर ये चार आतंकवादी उड़ी पहुंचे।
– इनमें से एक जीपीएस डिवाइस आग लगने से डैमेज हो गई है। मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक एनआईए इस मामले की जांच में दो अहम पहलुओं पर काम करेगी। एक के तहत यह पता लगाया जाएगा कि किस तरह आर्मी के सुरक्षा घेरे को भेदा गया और क्या कोई घर का भेदी दुश्मनों को अहम जानकारी दे रहा था।
– जांच के दूसरे पहलू में हमले की साजिश रचने वालों का पता लगाया जाएगा। हो सकता है कि आतंकवादियों को लोकल सपोर्ट मिला हो, जिसके दम पर वे आर्मी बेस के भीतर पहुंचे हों। इन चार आतंकवादियों को हो सकता है कि लोकल सपोर्ट मिला हो, जिसका इंतजाम इनके हैंडलर्स ने किया होगा। इस बीच आर्मी ने सुरक्षा संबंधी चूक की जांच शुरू कर दी है। इसके तहत आर्मी बेस की सुरक्षा में किसी भी तरह की ढील का पता लगाया जाएगा।