सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अरुण शर्मा/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के पिसावां कस्बे के बाबू सिंह इंटर कालेज के समीप जय मड़ैया बाबा सेवा समिति के तत्वाधन में चल रही रामलीला के सातवें दिन कलाकारों द्वारा जटायूवध रामसुग्रीव मित्रता बालिवध से लेकर लंकादहन तक मंचन किया गया मंचन के दौरान सीता का हरण हो जाने के बाद आकाश मार्ग में जटायु के विरोध करने पर रावण तलवार से घायल कर सीता जी को पुष्पक विमान से लंका ले जाता है सीता जी की खोज करते हुए श्री राम लक्ष्मण की शबरी से मुलाकात होती है शबरी राम,लखन को सुग्रीव से मिलने को कहती है राम ने सुग्रीव से अपनी सारी व्यथा बताई उधर,सुग्रीव ने भी प्रभु राम को भाई बाली के अत्याचार बताए जिसके बाद श्री राम सुग्रीव से मित्रता कर बाली का वध करते हैं जिसके बाद हनुमान सीता जी की खोज करने लंका जाते हैं जहां हनुमान जी अशोक वाटिका में श्रीराम द्वारा दी गई मुद्रिका को माता सीता के सामने जमीन पर डालकर उन्हे अपना परिचय दिया। इसके बाद अशोक वाटिका में मां सीता की आज्ञा लेकर वह फल खाने केलिए चले गए। जहां पर उन्होंने कुछ फल तोड़े तो कुछ वृक्षों को भी तोड़ा। उनको रोकने के लिए अशोक वाटिका के पहरेदारों ने प्रयास किया। लेकिन, हनुमानजी को वह रोक नहीं सके।
तब इसकी सूचना रावण को दी गई। जिस पर रावण ने अपनी सेना के साथ पुत्र अक्षय कुमार को हनुमानजी को रोकनेके लिए भेजा। हनुमानजी ने रावण के पुत्र को मारक र पूरी सेना परास्त कर दी। इसकी सूचना जैसे ही रावण को मिली तो उसने क्रोध में आते हुए मेघनाथ को हनुमानजी को पकड़कर उसके समक्ष लाने का आदेश दिया। इसके उपरांत हनुमान को पकड़ने के लिए गए मेघनाथ तथा हनुमान के बीच हुए संवाद की उपस्थित दर्शकों ने काफी सराहना की।अंत में मेघनाथ, हनुमान जी को ब्रह्मास्त्र में बांधकर अपने पिता रावण के पास ले जाता है। जहां पर हनुमानजी की उद्दंडता पर सभी उनकी पूंछ में आग लगाए जाने का सुझाव देते हैं। जिसके बाद सभी राक्षस मिल कर हनुमान जी की पूंछ में आग लगा देते हैं। पूंछ में आग लगते ही हनुमान जी उसी समय लघु रूप धारण कर लिया। और लंका के घरों में कूद-कूदकर लंका के सभी महलों तथा घरों में आग लगा देते हैं