लखनऊ, कोमल । यह कहानी उन लोगो के लिए है जो अपनी माँ के प्यार को समझते नहीं है और न ही उनके प्यार को कभी महसूस करने की कोशिश करते है। मैं आप सभी को इस कहानी के माध्यम से माँ के प्यार के महत्व को समझाने की कोशिश कर रही हूँ। इस कहानी के बारे में जानने के लिए आप नेस्ट पैराग्राफ पढ़िये। चिड़ाते
बता दे कि एक बूढ़ी औरत थी जो अंधी थी जिसके कारण उसके बेटे को स्कूल में सारे बच्चे चिढ़ाते थे । और कहते थी कि अंधी का बेटा -अंधी का बेटा देखो, अंधी का बेटा आ गया। हर बात पर उसे ये शब्द सुनने को मिलता था जिसकी वजह से वह अपनी माँ से काफी चिढ़ने लगा और अपने साथ कही ले जाने में हिचकता था और नफरत भी करता था। उसकी माँ ने उसे पढ़ाया- लिखाया और इस काबिल बनाया कि वह अपने पैरो पर खड़ा हो सके।
लेकिन जब वह एक दिन वह बड़ा आदमी बन गया तब वह अपनी माँ को छोड़कर अलग रहने लगा था। तभी एक दिन जब उसके घर एक बूढ़ी औरत आयी और चौकीदार से बोली कि आपके साहब से मुझे मिलना है जब चौकीदार ने अपने मालिक से बोला, तो मालिक ने चौकीदार से बोला कि बोल दो कि अभी मैं घर पर नहीं हूँ । जब चौकीदार ने जब उस बुढ़िया से बोला कि वो अभी घर पर नहीं है तभी वह बूढ़ी औरत वहाँ से चले गयी
बता दे, तभी थोड़ी देर बाद जब लड़का अपनी कार से ऑफिस जा रहा होता है तो देखता है कि सामने एक तरफ बहुत भीड़ लगी होती है और वह जानने के लिए की वहां क्यों भीड़ लगी है।
वह वहां गया तो देखा, कि वहां उसकी माँ मरी पड़ी थी उसने देखा कि माँ की मुठठी में कुछ है उसने जब मुठठी खोला तो देखा कि माँ के हाथ में एक खत है जिसमे यह लिखा था कि बेटा जब तू छोटा था तो खेलते वक्त तेरी आँख में सरिया धस गयी थी और तू अंधा हो गया था तो मैंने तुम्हें अपनी आँखे दे दी थी इतना पढ़कर लड़का जोर-जोर से रोने लगा उसकी माँ अब उसके पास नहीं आ सकती थी ।
दोस्तों वक्त रहते ही माँ- बाप की अहिमियत करना सीख लेना चाहिए माँ- बाप का कर्ज हम सभी कभी नहीं चुका सकते है। हमारी प्यार की अंदाज अलग है दोस्तों, कभी समुन्दर को ठुकरा देते है तो कभी आशू तक पी जाते है, बैठना भाईयो के बीच चाहे बैर ही क्यों न हो कहना माँ के हाथों का ही चाहे जहर ही क्यों न न हो । दोस्तों जो लोग अपने माँ-बाप से प्रेम करते है तो इस कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।