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Tuesday, September 17, 2024

एक बार फिर बने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर!

नई दिल्ली, एजेंसी। 11 मार्च 1942 को पटियाला राजघराने में जन्म लेने वाले कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पंजाब विधानसभा के सदस्‍य हैं और पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री भी रहे हैं। उन्होंने 26 फरवरी 2002 से 1 मार्च 2007 तक वे पंजाब के मुख्‍यमंत्री का पद्द संभाला। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी के सदस्‍य हैं। कैप्‍टन सिंह पटियाला के महाराज यादविंदर सिंह के पुत्र हैं, उनकी माता का नाम मोहिंदर कौर था।

1964 में परनीत कौर से की थी शादी

वर्ष 1964 में उनका विवाह परनीत कौर से हुआ। दोनों का एक बेटा, रणिंदर सिंह और बेटी जय इंदर कौर है। परनीत कौर भी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं तथा मनमोहन सिंह की सरकार में वे भारत की विदेश राज्य मंत्री रह चुकी हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने पटियाला सीट से चुनाव लड़ा, किंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जबकि अमरिंदर सिंह अमृतसर से सांसद हैं जहां उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली को हराया था।

कैप्टन के परिवार के जुड़े हैं सियासी तार

अमरिंदर सिंह के परिवार का सियासत से पुराना नाता रहा है। अमरिंदर सिंह ने नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी में पढ़ाई के बाद 1963 में भारतीय सेना ज्वाइन कर लिया हालांकि 1965 के शुरुआत में ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। पाकिस्तान से युद्ध शुरू होने की वजह से उन्होंने एक बार फिर सेना ज्वाइन की और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बतौर कैप्टन लड़े। युद्ध के बाद उन्होंने फिर से सेना छोड़ दी।

कैप्टन को राजनीति में लाने वाले राजीव गांधी थे

कैप्टन को कांग्रेस में लेकर आए राजीव गांधी कांग्रेस में अमरिंदर सिंह की एंट्री पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कराई क्योंकि वे दोनों स्कूल के दोस्त थे। अमरिंदर सिंह पहली बार 1980 में लोकसभा चुनाव जीते।

खुद की बनाई नई पार्टी

1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में उन्होंने लोकसभा और कांग्रेस दोनों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने शिरोमली अकाली दल की सदस्यता ले ली। उन्होंने राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ा और राज्य सरकार में मंत्री बन गए। 1992 में उनका अकाली दल से मोहभंग हुआ और उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (पी) के नाम से नई पार्टी बना ली।बाद में इस पार्टी का साल 1998 में कांग्रेस में विलय हो गया। यह विलय विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद हुआ। अमरिंदर को इस चुनाव में अपनी विधानसभा सीट में कुल 856 वोट मिले थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद अमरिंदर सिंह 1999 से 2002 और 2010 से 2013 तक पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे और इस बीच 2002 से 2007 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।

भ्रष्ट्राचार के मामले में फंसे थे कैप्टन

आरोपों में घिरकर विधानसभा से हुए बाहर अमरिंदर सिंह के खिलाफ साल 2008 में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया। तत्कालीन अकाली दल-बीजेपी सरकार ने भ्रष्टाचार की जांच के लिए विधानसभा में स्पेशल कमेटी बनाई जिसने अमरिंदर को बर्खास्त कर दिया। साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। साल 2008 में उन्हें पंजाब में चुनाव प्रचार कमेटी का चेयरमैन बनाया गया।

बर्खास्तगी के बाद साल 2017 में एक बार फिर उबरे कैप्टन

2017 में पंजाब चुनावों को ध्यान में रखते हुए 27 नवंबर 2015 को अमरिंदर सिंह को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंप दी गई।ऑल इंडिया जाट महासभा के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ऑल इंडिया जाट महासभा के अध्यक्ष हैं। वह इस संगठन से करीब 30 साल से जुड़े हैं। 1980 में कैप्टन भगवान सिंह इसके अध्यक्ष थे तब से अमरिंदर सिंह इस संगठन में हैं। उन्होंने जाटों को OBC कैटेगरी में आरक्षण देने की भी मांग उठाई।

लिखने का शौक रखते हैं कैप्टन अमरिंदर

कैप्टन एक अच्छे लेखक भी हैं। उनकी लिखी किताबों के नाम क्रमश: ‘ द लास्ट सनसेट’ और ‘द राइज एंड फॉल ऑफ द लाहौर दरबार’ हैं। उन्होंने ए रिज टू फार, लेस्ट वी फॉरगेट, द लास्ट सनसेट: राइज एंड फॉल ऑफ लाहौर दरबार और द सिख इन ब्रिटेन: 150 ईयर्स ऑफ फोटोग्राफ्स लिखी हैं। उनकी हालिया किताबों में ऑनर एंड फिडेलिटी: इंडियाज मिलिट्री कॉन्ट्रीब्यूशन टु द ग्रेट वार 1914-1918 साल 2014 में चंडीगढ़ में रिलीज हुई थी। इसके अलावा द मानसून वार: यंग ऑफिसर्स रेमनिस- 1965 इंडिया पाकिस्तान वार जिसमें उन्होंने अपने युद्ध के अनुभवों को साधा किया है।

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