नई दिल्ली
एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश भर में हुए आंदोलन की तपिश ने मोदी सरकार और बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया है। यही वजह है कि एक तरफ सरकार की ओर से होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने संसद में इस पर बयान दिया है। वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी का पक्ष रखते हुए ट्विटर पर अपनी बात कही है। अमित शाह ने सोमवार को हुए दलित आंदोलन को चुनावी राजनीति करार देने के साथ ही यह भी बताने की कोशिश की कि आखिर कैसे सरकार दलितों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है।
शाह ने ट्वीट किया, ‘यह स्क्रिप्ट अब पुरानी हो चुकी है। हर चुनाव से पहले एक ही ग्रुप अपने हितों के लिए ऐक्टिव हो जाता है और रिजर्वेशन को लेकर पैनिक फैलाने का काम करता है। बीजेपी का स्टैंड साफ है, हम बाबासाहेब के संविधान और दलितों को मिले अधिकारों में पूरा विश्वास रखते हैं।’ अमित शाह ने एससी-एसटी ऐक्ट को मजबूत करने को लेकर सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि हमने ही 2015 में संशोधन विधेयक लाकर इसे और ठोस बनाने का काम किया।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सरकार की ओर से रिव्यू पिटिशन में देरी करने के विपक्ष के आरोपों पर भी अमित शाह ने ट्वीट के जरिए ही जवाब दिया। शाह ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही केंद्र सरकार ने सही ढंग से काम करना शुरू कर दिया। दलित समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रभावाशी रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दी गई है।’
राहुल के ‘डीएनए’ वार का भी दिया जवाब
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से आरएसएस और बीजेपी के डीएनए पर सवाल उठाने वाले ट्वीट के जवाब में शाह ने लिखा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी के डीएनए पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस ने खुद बाबासाहेब आंबेडकर का दो बार अपमान किया। संसद के सेंट्रल हॉल में उनकी तस्वीर नहीं लगने दी और अपने शासन काल में दशकों तक भारत रत्न नहीं दिया गया।’