लखनऊ। लखनऊ प्रिंटर्स एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी हिमांशु मिश्र ने बताया कि प्रिंटिंग उद्योग में प्रयोग होने वाले कच्चे माल के मूल्यों हुई बेतहाशा वृद्वि और सरकार द्वारा इस उद्योग को संकट के समय राहत न देने के विरोधस्वरूप एआईएफएमपी के आवाहन पर लखनऊ
प्रिंटर्स एसोसियेशन द्वारा 22 मार्च 2021 को काला दिवस के रूप में मनाया गया।
कोविड के कारण बहुत से उद्योग धंधे प्रभावित हुये है। जिनमें सबसे ज्यादा झटका प्रिंटिग और पैकेजिंग उद्योग को लगा है। इसी मुद्दे का लेकर 17 मार्च 20121 को एआईएफएमपी से संबद्ध एसोसिएशन के अध्यक्षों की आपातकालीन बैठक की गई। जिसमें कच्चे माल जैसे कागज, प्लेट और रसायन आदि की कीमतों में वृद्धि की निंदा की गई। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. कमल चोपड़ा ने कहा कि डिब्बों के लिये प्रमुख घटक के रूप में उपयोग होने वाला क्राफ्ट पेपर, कार्डबोर्ड बाॅक्स, व्हाइट पेपर और आर्ट पेपर आदि में 40 प्रतिशतकी वृद्धि हुई है जो कि असामान्य है एवं इस वृद्धि का कोई उचित कारण भी नहीं है और इसके बाद भी कागजों की उपलब्धता में कमी है।
बीएमपीए श्री मीनू डावर ने प्रो. चोपड़ा की बात का समर्थन करते हुये कहा कि पिछले पांच छः महीनों में पेपर मिलों ने तेजी से अपनी कीमतें बढ़ाई है। जिससे मुद्रण उद्योग भी प्रभावित हुआ है। मुद्रण एक मध्यस्थ उद्योग है और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ अनुबंधित और निविदाओं का पालन करने के लिये बाध्य है। इसलिये बढ़ी हुई कीमतें प्रकाशन और पैकेजिंग उद्योग को भी बहुत प्रभावित करेगा।
एआईएफएमपी के उपाध्यक्ष श्री अश्वनी गुप्ता (उत्तर) के अनुसार मिल मालिक बिना किसी नोटिस के तत्काल प्रभाव से दरों में वृद्धि करते हैं जिससे आर्डर के समय तय गणना के अनुसार माल की आपूर्ति अथवा भुगतान प्रभावित हो जाता है और प्रिंटर को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। मिलों को चाहिये वो वृद्धि की सूचना कम से कम एक महीने पहले दे।
पीपी श्री रवीन्द्र जोशी ने बताया कि 85 प्रतिशत से अधिक प्रिंटिग उद्यमी सूक्ष्म या लघु इकाइयाँ है जो इस तरह के झटके सहने में सक्षम नही है। आज हालात सुधर रहे है किंतु कच्चे माल जैसे कागज, प्लेट और स्याही की कीमतों में 50 से 90 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है जिसके कारण मुद्रण उद्योग पर संकट आ गया है और व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा मैन पावर, लैमिनेटिंग फिल्म, फ्रेट और अन्य ओवरहेड्स में भी विगत कुछ वर्षों में 60-70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जो कि व्यापार को अस्थिरता की ओर ले जा रही है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुये श्री हरजिंदर सिंह , कोषाध्यक्ष के सुझाव पर काला दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया है। इस दिन सभी प्रिंटर्स व्यापारियों ने काला रिबन बाँधकर अपना विरोध प्रदर्शित किया और ये सर्वसम्मति से कहा यदि। भारत सरकार इनके दुखों पर ध्यान नहीं देती है तो भारत के सभी प्रिंटर्सव्यापारी हड़ताल पर चले जायेंगे।