2014 की प्रचंड मोदी लहर में भी प्रदेश में कम अंतर से हार-जीत वाली 18 सीटों पर भाजपा और विपक्ष दोनों की नजरें लगी हैं। इन सीटों पर भाजपा के साथ ही सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस गठबंधन पूरी ताकत लगाए हुए हैं। इन सीटों पर बहुत ही सोच समझकर सभी दलों ने अपने प्रत्याशी दिए हैं।
पिछले चुनाव में इन सीटों को कड़े मुकाबले के बाद भाजपा प्रत्याशियों ने एक लाख से कम वोटों से कब्जाई थी। भाजपा जहां इन सीटों को फिर से पाना चाहती है वहीं विपक्षी दल इन सीटों को अपने पाले में लाने की जुगत में हैं। इस कोशिश में भाजपा के साथ ही विपक्ष ने भी प्रत्याशियों के चयन में बड़ा उलटफेर किया है।
18 में से छह सीटों पर नये प्रत्याशी
भाजपा ने इन 18 सीटों में से छह सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं। इनमें इलाहाबाद, बहराइच, हरदोई, कुशीनगर, मिश्रिख तथा रामपुर शामिल है। 2014 में जीते इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्ता, बहराइच की सांसद साध्वी सावित्री बाई फूले और हरदोई के सांसद अंशुल वर्मा ने भाजपा छोड़ दूसरे दल को ज्वाइन कर लिया है। अब तीनों भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव मैदान जा रहे हैं। वहीं संतकबीर नगर से अभी भाजपा ने प्रत्याशी तय नहीं किए हैं।
लहर नहीं लेकिन लहर होने के दावे चल रहे हैं: 2014 का आम चुनाव ऐसा था, जिसमें विपक्ष के बड़े-बड़े दिग्गज भी “मोदी लहर” में ढेर हो गए थे। भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 73 सीटें अपनी झोली में डाल ली थी। जिन सात सीटों पर भाजपा नहीं जीत सकी थी, उन सीटों पर सपा और कांग्रेस के शीर्ष नेता ही जीत सके थे। इस चुनाव में समीकरण और स्थितियां बदली नजर आ रही हैं। 2014 जैसी कोई प्रचंड लहर अभी तक दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि राजनीतिक दल अपने मुद्दों और वादों के मुताबिक तरह-तरह के दावे कर रहे हैं।
गठबंधन और कांग्रेस दे रहे चुनौती: भाजपा के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती दो धुर-विरोधी दल सपा और बसपा एक साथ आ जाना है। गठबंधन की कोशिश पार्टी के वोट बैंक को गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में वोट कराने की है। इसी रणनीति पर ये दोनों दल काम कर रहे हैं। कांग्रेस भी नए दमखम के साथ मैदान में है। प्रियंका को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने युवाओं और महिलाओं को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की है।
मुलायम और डिंपल भी कम मत से ही जीते थे
2014 में वरिष्ठ सपा नेता मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ सीट से महज 63 हजार मतों से विजयी हुए थे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज सीट से 20 हजार मतों से ही जीत सकी थी।