दीपक ठाकुर:NOI।
कर्नाटक में भाजपा का सत्ता विमुख होना विपक्षी दलों के लिए सुखद अनुभूति ले कर आया है खास तौर पर कांग्रेस इसको अपनी बड़ी जीत के तौर पर देख रही है जैसा उनके नेताओ के बयानों से स्पष्ट भी होता है लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट ही दिखाई पड़ती है वो ये के क्षेत्रीय दल के साथ नतमस्तक होकर सत्ता में भागीदारी करना राष्ट्रीय पार्टी की मजबूरी बनती दिखाई दे रही है और दूसरा के ऐसा गठबंधन 5 साल टिक भी पायेगा या नही इसपे भी संशय है।
लेकिन कर्नाटक में जो हुआ वो भाजपा के फेवर में ही जाता हुआ दिखाई दे रहा विपक्ष भले इसको भाजपा की हार मान कर अपनी पीठ थपथपाए मगर वहां जो हुआ उससे भाजपा को नुकसान हमे तो नज़र नही आता वो इसलिए क्योंकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में तख्ता पलट करने की जो कला है उसका उदाहरण बिहार में देखा जा चुका है उसे दोहराने में ज़्यादा समय तो नही लगेगा मेरे हिसाब से अगर 2019 के लोक सभा चुनाव नजदीक ना होते तो कर्नाटक की तस्वीर ही बदली बदली नज़र आती।
एक और बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली और वाक छमता इतनी प्रभाव शाली है कि उनके आगे किसी विपक्ष का टिक पाना ही सम्भव नही लगता।विपक्ष में अगर महागठबंधन के पुलाव पक भी रहे है तो उसका मुखिया कौन होगा ये एक बड़ा पेंच पहले भी था और आज भी है कुल मिला के देखा जाए तो 2019 में मोदी के अलावा ऐसा कोई चेहरा या
शख्सियत किसी के पास नही दिखती जिसपे जनता भरोसा कर देश की बागडोर दे सके तो इसलिए अभी केंद्र की सत्ता के लिए महागठबंधन की सरकार की सोच रखना भी विपक्षी पार्टीयों के लिये सिवाय मुंगेरी लाल के हसीन सपने से बढ़कर कुछ प्रतीत होता नजर नही आता।