शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI- कर्नाटक से यहां लाए गए 10 हाथियों में से कुछ के अंदर इतनी क्षमता है जिसके आधार पर दुधवा में नए तरह का टूरिज्म विकसित हो सकता है। इसके तहत सैलानियों को इन हाथियों के पास लाकर उनसे लुभावने करतब कराने की स्थिति बन रही है। हालांकि ये सब कब हो सकेगा, इसकी पुख्ता तौर पर जानकारी नहीं है। अलबत्ता यह एक विचार जरूर है जिसको ध्यान में रखते हुए दुधवा पार्क प्रशासन यहां टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। कर्नाटक में हाथी अच्छी तादाद में पाए जाते हैं। हाथियों के मामले में कर्नाटक पूरे देश में तीसरे स्थान पर आता है। वहां हाथियों को टूरिज्म के साथ बहुत अच्छी तरह से जोड़ा गया है, जो सैलानियों को न सिर्फ लुभाते हैं बल्कि उन्हें देखने के लिए ही दूर दराज के पर्यटक वहां पहुंचते थे। इस तरह से कर्नाटक के हाथियों का दुधवा में आना कई मायनों में खास है।
ये हाथी फुटबाल खेलने, हैंडशेक करने समेत कई अन्य तरह के करतब बेहद अच्छे से दिखाने में सक्षम हैं। यह सब दुधवा में भी इन हाथियों के माध्यम से संभव हो सकता है, जिसे देखने के लिए देश विदेश से सैलानी यहां खिंचे चले जाएंगे। बस शर्त यह है कि इसके लिए कर्नाटक से उनके साथ यहां आए महावतों को दुधवा के महावतों को भी ट्रेंड करना होगा। दुधवा से हाथियों को लेने कर्नाटक गए दुधवा के महावत इरशाद अली, हरि प्रसाद, रामेश्वर, शफीक, सुरेश, सुशील का कहना है कि उन्होंने करीब डेढ महीना इन हाथियों के साथ कर्नाटक में बिताए। ये हाथी सच में काफी माहिर हैं। अब उन्हें इन हाथियों की दुधवा में देखभाल करने का भी जिम्मा मिला है। इस समय दुधवा में रूपकली, बटालिक, पवनकली, गजराज, मोहन, चमेली, सुलोचना, सुहेली, विनायक, पाखरी, सुंदर, गंगाकली, मधु नाम के कुल 13 हाथी हैं। इसमें से रूपकली को रीढ़ में दिक्कत है, जबकि गंगाकली भी बीमार रहती हैं, हालांकि उससे पेट्रोलिंग का काम लिया जाता है।
सुहेली और विनायक अभी कम उम्र के हैं। इस तरह से हाथियों की संख्या 13 होने के बावजूद दुधवा में उनकी कमी खल रही थी। अब कर्नाटक के 10 हाथी यहां आने से यह संख्या न सिर्फ अच्छी हो गई है बल्कि पूरे प्रदेश के लिए दुधवा हाथियों का हब बन गया है। भविष्य में जब भी कहीं बाघ आदि को पकड़ने की बात आएगी तो सभी की नजर दुधवा पर ही आकर टिकेगी। इस संबंध में डिप्टी डायरेक्टर महावीर कौजलगि ने बताया कि जिस जगह पर कर्नाटक से लाए गए हाथी रखे गए हैं फिलहाल वहां पर किसी को नहीं ले जाया जाएगा। हालांकि ये एक अच्छा विचार है कि इन हाथियों के माध्यम से दुधवा को एक नई पहचान दी जाए। फिलहाल पार्क का पूरा ध्यान इन हाथियों की देखभाल करने और उन्हें हर खतरे से बचाने पर है, जिसके लिए हम पूरी ताकत से जुट गए हैं। चार महीने तक इन हाथियों को भीरा वन निगम डिपो में रखा जाएगा। ताकि अगर किसी तरह की संक्रामक बीमारी फैले तो उसका असर दुधवा के हाथियों पर न हो। चार महीने बाद ही इन हाथियों को दुधवा ले जाने पर विचार किया जाएगा।