नई दिल्ली – भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी जीत जाती तो उन्हें अचरज होता। इस ‘साफगोई’ से यह पता चलता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता कर्नाटक के चुनावी हश्र से बखूबी वाकिफ थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कर्नाटक में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार बदल सकती है तो भला दिल्ली की सत्ता पर यह लागू क्यों नहीं होगा?
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आडवाणी ने शनिवार को ब्लॉग पर लिखा, ‘मुझे दुख है कि हम कर्नाटक में हार गए हैं। लेकिन मैं आश्चर्यचकित नहीं हूं। आश्चर्य तब होता, जब हम जीत जाते।’ कर्नाटक मामले से पार्टी के निपटने के तरीके की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल अवसरवादी रवैया था। उन्होंने कहा कि वहां संकट के प्रति भाजपा की प्रतिक्रिया कोई मामूली अविवेकपूर्ण नहीं थी।
येद्दयुरप्पा के कार्यकाल में पार्टी के भ्रष्टाचार से निपटने पर आडवाणी ने कहा कि अगर भाजपा ने तत्काल ठोस कार्रवाई की होती तो स्थिति कुछ अलग होती। लेकिन कई महीने तक उनके अपराध को छोटा मानकर उसे माफ करने का प्रयास चलता रहा। यह दलील दी गई कि अगर पार्टी ने व्यावहारिक नजरिया नहीं अपनाया तो वह दक्षिण में अपनी एकमात्र सरकार खो देगी। आडवाणी ने यह भी कहा कि भाजपा ने येद्दयुरप्पा को बाहर नहीं निकाला बल्कि अलग पार्टी बनाने के लिए वह खुद बाहर हो गए।
गौरतलब है कि दक्षिण भारत में भाजपा का प्रवेश द्वार खोलने वाले बीएस येद्दयुरप्पा को हटाने को लेकर आडवाणी जिद पर अड़ गए थे। जबकि पार्टी के अंदर एक बड़े धड़े का मानना था कि येद्दयुरप्पा को हटाना पार्टी के हित में नहीं होगा। दरअसल उन्हें इस बात का पूरा अहसास था कि दक्षिण भारत में पहली बार सत्ता दिलाने वाले येद्दयुरप्पा ही थे।
आत्मसम्मान की खातिर पीएम दें इस्तीफा
केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल और अश्विनी कुमार के मामले में प्रधानमंत्री के दो लोगों को सोनिया गांधी द्वारा हटाने संबंधी खबरों का हवाला देते हुए आडवाणी ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल के बारे में फैसला करने का अधिकार भी खो दिया है।
उन्होंने कहा कि आत्मसम्मान की मांग है कि प्रधानमंत्री पद छोड़ दें और जल्द आम चुनाव का आदेश दें। आडवाणी के मुताबिक कर्नाटक के नतीजों ने कोयला घोटाला और रेलवे घूसकांड मामले में मंत्रियों की बर्खास्तगी जैसी ठोस कार्रवाई करने में योगदान दिया क्योंकि कांग्रेस बजट सत्र के बाधित होने के बावजूद दोनों घोटालों के संबंध में कुछ भी नहीं करने को प्रतिबद्ध लग रही थी।