इंदौर : इंदौर में अनंत चर्तुदशी के अवसर पर निकलने वाली आकर्षक झांकियों का कांरवा देखने के लिये न केवल इंदौर के लोग उमड़ते है वहीं आस-पास के शहरों से भी लोगों की भीड़ जुटती है। चाहे इंदौर की बंद हो चुकी मिलों के मजदूर हो या फिर समय के थपेड़ों से दम तोड़ने की कगार पर पहुंचने वाली मिलों के मेहनतकश श्रमिक ही क्यों न हो, अपनी परंपरा का निर्वाहन करने से पीछे नहीं हटते है और यही कारण है कि हर वर्ष अनंत चर्तुदशी पर झिलमिलाती झांकियां इंदौर की सड़कों पर निकलकर लोगों को रातजगा कराती है।
इस बार अनंत चर्तुदशी 15 सिंतबर को है तथा झांकियों को निकालने की तैयारियां हो रही है। लेकिन यह देखने में आ रहा है कि प्रशासन त्योहारों पर व्यवस्था बनाने के नाम पर अधिक सख्ती करने लगा है। कहीं ऐसा न हो कि प्रशासन की सख्ती के कारण आगे आने वाले वर्षो में इंदौर की यह परंपरा टूट जाये।
दरअसल थोड़ी सी भीड़ जुटने पर ही प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लग जाते है और वे न केवल भीड़ को धकियाते है वहीं जुलूस आदि को भी तेजी से आगे बढ़ाने का प्रयास करते है, ताकि जुलूस अपने स्थान पर पहुंच जाये और प्रशासन के अधिकारियों का टेंशन समाप्त हो।
लेकिन शहर के नागरिक कम से कम अनंत चर्तुदशी पर निकलने वाले झांकियों के जुलूस में ऐसा नहीं चाहते है। नागरिक न केवल अखाडों के कलाकारों का करतब देखने के इच्छुक है वहीं झांकियों को भी देर तक निहारकर मजदूरों के हुनर की तारीफ करना चाहते है। इसलिये प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिये वह न तो जुलूस को तेजी से आगे बढ़ाये और न ही अखाड़ों के कलाकारों के हुनर प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न करें। अधिकारी यदि चाहे तो अपनी काबिलयत का परिचय देते हुये हर स्थिति को आसान कर सकते है।