कांग्रेस पार्टी में आज से एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है. शनिवार को राहुल गांधी पार्टी की कमान संभालने जा रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी की ताजपोशी का जश्न मनाने के लिए दूर-दूर से कार्यकर्ता दिल्ली पहुंच चुके हैं. शनिवार को औपचारिक तौर से राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की पूरी कमान संभाल लेंगे.
दिल्ली के 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस के दफ्तर में उनकी ताजपोशी को लेकर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. जश्न के लिए स्पेशल तौर पर दिल्ली के चांदनी चौक से आए हलवाई जलेबी और लड्डू समेत कई तरह की मिठाइयां बनाने में जुटे हुए हैं. दिल्ली के यूथ कांग्रेस दफ्तर में मिठाई के साथ ही लोकगीतों की भी तैयारी की गई है.
इसके अलावा देश भर में कांग्रेस कार्यालयों में जश्न मनाया जाएगा. को लेकर देश भर के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है. ‘राहुलराज’ की खुशी में पार्टी दफ्तर में एक दिन पहले से ही लड्डू बनने लगे. दिल्ली, लखनऊ समेत कई जगहों पर पार्टी मुख्यालय को लाइट से सजाया गया है. शनिवार को दिल्ली स्थित कांग्रेस दफ्तर में दिग्गज नेताओं का जमघट देखने को मिलेगा.
इस कार्यक्रम में तमाम सांसद, विधायक, सीएलपी नेता, पीसीसी अध्यक्ष एआईसीसी के तमाम पदाधिकारी पार्टी के इस ऐतिहासिक पल में शिरकत करेंगे. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में नए युग की शुरुआत होने जा रही है, जिसको लेकर सिर्फ कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि नेता भी बेहद उत्साहित है. गांधी परिवार से कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले राहुल गांधी पांचवें शख्स होंगे.
11 दिसंबर को निर्वाचित हुए थे अध्यक्ष
इससे पहले 11 दिसंबर को हुए थे. कांग्रेस नेता एम रामचंद्रन ने इसका औपचारिक ऐलान किया था. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ राहुल गांधी ने ही नामांकन दाखिल किया था. राहुल के अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े. कहीं ढोल-नगाड़े बजे थे, तो कहीं राहुल के समर्थन में जोरदार नारेबाजी हुई थी.
19 साल बाद बदलेगी कांग्रेस मुख्यालय की नेम प्लेट
शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय के बाहर लगी नेम प्लेट बदल जाएगी. सोनिया गांधी की जगह अब राहुल गांधी के नाम की प्लेट लग जाएगी. पिछले 19 साल से इस नेम प्लेट पर सोनिया गांधी का नाम है. जब सोनिया ने कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली थी, तब उनकी पार्टी सिर्फ चार राज्यों में ही सिमटी थी. अब वो कांग्रेस की कमान अपने बेटे राहुल गांधी को सौंपने जा रही हैं.
16 दिसंबर को इसलिए रखा गया कार्यक्रम
कांग्रेस पार्टी ने काफी सोच विचार कर राहुल गांधी की ताजपोशी की तारीख तय की. गुजरात और हिमाचल चुनाव के नतीजों से दो दिन पहले ही राहुल गांधी की ताजपोशी इसलिए की जा रही है, ताकि विपरीत चुनाव नतीजों का कांग्रेस की खुशियों पर कोई असर न पड़े. इस कार्यक्रम का समय 11बजे हैं. पर कांग्रेस कार्यकर्ता सुबह से ही 24 अकबर रोड पर जमा होने लगेंगे.
कांग्रेस दफ्तर की कुर्सी में बतौर अध्यक्ष बैठेंगे राहुल गांधी
शनिवार को राहुल गांधी कांग्रेस दफ्तर में अध्यक्ष की कुर्सी पर औपचारिक रूप से बैठक अपनी नई पारी की शुरुआत करेंगे. इससे पहले सोनिया गांधी उनको पार्टी की कमान सौंपेंगी. कार्यक्रम के दौरान सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ पार्टी के दिग्गज नेता और कार्यकर्ता मौजूद होंगे. बताया जा रहा है कि इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी का भाषण भी होगा, जिसके बाद राहुल गांधी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पहली बार पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.
अब तक ऐसा रहा सियासी सफर…
साल 2004: अपने 34वें जन्मदिन से जरा ही पहले राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी की पुरानी सीट अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़े. कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा को झटका दे दिया.
साल 2007: महासचिव बनाए गए और यूथ कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का प्रभार दिया गया. युवाओं की राजनीति में सुधार लाने का वादा किया, युवा कांग्रेस में चुनाव शुरू करवाए. सदस्यता अभियान अभूतपूर्व स्तर पर चलाया.
साल 2008: किसानों की आत्महत्या के बारे में एक भाषण में, राहुल ने संसद को महाराष्ट्र के सूखे से प्रभावित विदर्भ क्षेत्र की एक विधवा कलावती के बारे में बताया. भाषण राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बना. पत्रकारों की भीड़ कलावती के घर पहुंच गई.
साल 2009: आम चुनावों में अमेठी सीट बरकरार रखी. रात में एक दलित के घर में रहे, खुले में खाना खाया, स्नान किया और सोए. भारत दर्शन शुरू किया. छह हफ्तों में 125 रैलियां संबोधित कीं.
साल 2011: किसानों की जमीन के जबरदस्ती सस्ते दामों में अधिग्रहण के विरोध में भट्टा पारसौल गांव में राज्य सरकार के खिलाफहो रहे प्रदर्शन से जुड़े. यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया. बाद में यूपीए सरकार ने भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास विधेयक पारित किया.
साल 2012: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 28 सीटें मिलीं. 16 दिसंबर को ज्योति सिंह की गैंगरेप-हत्या के बाद राहुल ने उसके दो भाइयों की शिक्षा का खर्च उठाया.
साल 2013: कांग्रेस उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए. उन्होंने कहा, सत्ता जहर है. दोषी राजनेताओं को अयोग्य ठहराने से रोकने वाले अपनी ही पार्टी के प्रस्तावित अध्यादेश को “कंप्लीट नॉनसेंस’ करार दिया. दिसंबर में कांग्रेस दिल्ली चुनाव में तीसरे स्थान पर आई. राहुल का दावा है कि वे कांग्रेस को उस तरह बदल देंगे, “जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते.”
साल 2014: आम चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 44 सीटों पर सिमट गई. पार्टी के लोगों ने बहन प्रियंका से नेतृत्व देने की मांग की.
साल 2015: विपश्यना के लिए दो महीने तक गायब रहे. नई ऊर्जा के साथ अप्रैल में उन्होंने मोदी सरकार के लिए :’सूट-बूट की सरकार’ का मुहावरा दिया. सरकार को 2011 के भूमि अधिग्रहण विधेयक के संशोधन से भाग खड़े होने के लिए मजबूर किया. बिहार चुनाव जीतने के लिए लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को साथ लाए.
साल 2015-17: कांग्रेस महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, असम और केरल में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में उनके नेतृत्व पर राष्ट्रीय मजाक बनने का खतरा. यूपी में अखिलेश यादव के साथ गठबंधन घातक रहा. मणिपुर और गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी पर सरकार बनाने में विफल रही. केवल पंजाब में जीत हासिल हुई. पर इसका श्रेय अमरिंदर सिंह को गया.
साल 2017: अमेरिकी विश्वविद्यालय के परिसर में प्रभावी भाषणों ने राहुल को गजब का आत्मविश्वास दिया. गुजरात में भाजपा के विकास के वादे का मजाक उड़ाता कांग्रेस का एक सोशल मीडिया अभियान—श्विकास गंडो थायो छे्य—वायरल हो जाता है, जो राहुल को ट्विटर अपनाने के लिए प्रेरित करता है. जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहकर सुर्खियां बटोरते हैं तो अमित शाह के बेटे जय का, चतुराई से ‘शाह-जादा’ कह कर मजाक उड़ाते हैं.