लखनऊ. यूपी की राजनीति में एक ओर जहां भाजपा विरोधी मोर्चा खड़ा करने की मुहिम चल रही है, तो दूसरी ओर सपा, बसपा के रणनीतिकार एक-दूसरे प्रभावशाली क्षत्रपों को अपने साथ जोड़ने का दांव भी चल रहे हैं। ताजा मामला पूर्व मंत्री और पासी समाज के प्रभावी नेताओं में शुमार इन्द्रजीत सरोज का है। बसपा संस्थापक कांशीराम के साथियों में शुमार इन्द्रजीत सरोज ने कुछ दिन पहले मायावती पर गंभीर आरोप लगाते हुए बसपा को अलविदा कहा था। अब वह समाजवादी पार्टी का दामन थामने की तैयारी में हैं। मंगलवार को सपा अध्यक्ष और इन्द्रजीत के बीच लंबी चर्चा हुई। आगे पढ़िए इंद्रजीत सरोज के बारे में…
-इलाहाबाद के मंझनपुर निवासी इन्द्रजीत सरोज 1984 में कांशीराम से प्रभावित होकर बसपा में आए थे। कुछ सालों के बाद वह बसपा के महासचिव नियुक्त किए गए।
-मंझनपुर से 4 बार विधायक चुने गए और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
-बसपा ने जब अपनी नीति बदलते हुए ‘सर्वजन हिताय’ का नारा दिया, तब उन्हें पार्टी के अंदर दलितों को गोलबंद रखने का जिम्मा सौंपा गया था।
-पिछले हफ्ते उन्होंने मायावती पर वसूली का आरोप लगाते हुए बसपा छोड़ दी थी और लखनऊ के आशियाना में बड़ा सम्मेलन किया था।
मंगलवार को अखिलेश से मिले
-इन्द्रजीत सरोज ने मंगलवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनके आवास पर मुलाकात की।
-दोनों के बीच हुई तकरीबन एक घंटे लंबी चर्चा हुई जिसमें इन्द्रजीत ने समर्थकों का भी सम्मानजनक समायोजन की बात रखी है।
-सपा सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव इसके लिए राजी हो गए हैं।
धर्म निरपेक्ष दल में रहूंगाः इन्द्रजीत
-पूर्व मंत्री इन्द्रजीत सरोज ने अखिलेश यादव से मुलाकात की पुष्टि करते हुए कहा, वह धर्मनिरपेक्ष दल रहकर दलितों और हासिये पर जीवन-यापन कर रहे लोगों की लड़ाई लड़ेंगे।