कानपुर। कानपुर के जाजमऊ में सपा नेता महताब आलम की अवैध इमारत गिरने के दूसरे दिन भी देर रात तक नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स (एनडीआरएफ) का बचाव अभियान जारी है। हादसे के दूसरे दिन मलबे से तीन और शव निकाला गया। मरने वालों की संख्या 10 हो गई है अभी भी 25 से ज्यादा मजदूरों के अंदर दबे होने की संभावना जताई जा रही है। एनडीआरएफ अफसरों की मानें तो बचाव कार्य अभी एक दिन और यानी कुल मिलाकर करीब 72 घंटों तक चल सकता है। राहत और बचाव कार्य में 11 एनडीआरएफ की लखनऊ और वाराणसी की पांच टीमों ने मोर्चा संभाल रखा है। दिल्ली से कैनाइन (डॉग स्क्वायड) और टेक्निकल टीमें भी आई हैं।
गृह मंत्रालय की नजर
एनडीआरएफ कमांडेंट सिंह ने बताया कि इस हादसे पर गृह मंत्रालय लगातार निगाहें लगाए हुए है। एनडीआरएफ के आला अधिकारी भी लगातार बचाव और राहत कार्य का अपडेट ले रहे हैं।
अनगिनत जख्म, हड्डियां चूर-चूर
जाजमऊ में निर्माणाधीन बिल्डिंग गिरने से मरने वाले पांच मजदूरों के शवों का गुरुवार को पोस्टमार्टम हुआ। पोस्टमार्टम में मजदूरों के जख्म भी डॉक्टर नहीं गिन पाए। जो मजदूर जहां था उसी हालत में स्लैब के नीचे दबने से पिस सा गया। डॉक्टरों ने बताया कि मजदूरों के सिर, हाथ, पैर और सीने की पसलियां और हड्डियां जगह-जगह से टूट गई थीं, जिससे शरीर के जख्म गिनना भी मुश्किल हो गया। सभी मजदूरों की मौत अधिक खून बहने की वजह से हुई। क्षत-विक्षत और रक्तरंजित शवों की पहचान करना भी मुश्किल था। कई मजदूरों के परिजनों ने कपड़ों के सहारे शवों की शिनाख्त की। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। तीन की पहचान नहीं हो सकी है।
मां की मौत, मलबे में दबा बेटा
हादसे में कबीरधाम छत्तीसगढ़ के रामपुर सासपुर लोहारा की रहने वाली निर्मला बाई वैष्णो (45) की मौत हो गई जबकि साथ में काम करने वाले तीन बेटों में कृष्णा (18) अभी मलबे में दबा है, मुकेश गंभीर रूप से घायल हालत में हास्पिटल में भर्ती है और अकेला बचा मुकेश बदहवास है।
पिता की मौत के बाद अनाथ हुए बच्चे
हादसे में घाटमपुर कुड़नी निवासी शिव स्वरूप कुशवाहा (38) की मौत हो गई। शिव स्वरूप पत्नी मीरा की मौत के बाद मजदूरी करके अपने दोनों बच्चों अमन और जूली को पाल रहा था। हादसे में पिता की मौत के बाद से अब दोनों बच्चे बेसहारा हो गए। रिश्तेदारों ने दोनों बच्चों को संभाला।
फतेहपुर के रामसिंह ने भी दम तोड़ा
श्याम नगर ई-ब्लाक में रहने वाले रामसिंह (45) की भी हादसे में मौत हो गई। बड़े भाई रामनरेश ने बताया कि वह मूल रूप से गढ़ाकोट फतेहपुर का रहने वाला है। पिछले कई सालों से छोटा भाई रामसिंह भी गांव से शहर आ गया और साथ में मजदूरी करने लगा था।
महाराजपुर के दो मजदूरों की मौत
महाराजपुर के गौरिया गांव के राम सेवक उर्फ गुड्डू पाल (35) और तिलसहरी बुजुर्ग निवासी सर्वेश कुशवाहा (40) की मौत हो गई। पति रामसेवक का शव देखकर पत्नी कीर्ति और तीनों बच्चे सुप्रिया, गोली, पिंटू रो-रो कर बदहवास हो गए।